Ghanshyam Prasad's Album: Wall Photos

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अंतरराष्ट्रीय कूटनीतिक विषय बड़े ही पेंचीदा होते है!

पहली बार जब अमेरिका ने ईरान पर प्रतिबंध लगाया था तब भारत ने अमेरिका के प्रतिबंधों को दरकिनार करके ईरान से तेल आयात जारी रखा लेकिन लगातार कटौती करता रहा!

इस बीच 2016 में मोदी जी के ईरान दौरे के बाद चाबहार के लिए समझौता हुआ!

2020 आते आते अमेरिका ने दुबारा ईरान पर कड़ा प्रतिबंध लगाया और भारत से भी कहा कि चाहो तो तेल हम दे देंगे लेकिन ईरान से तेल मत खरीदो!

इस बार भारत ने अमेरिका की बात मान ली और ईरान से तेल का आयात बंद कर दिया! अब भारत तेल सऊदी से खरीदने लगा! सऊदी से कई समझौते हुए जिसमें एक समझौता था कि सऊदी की तेल कंपनी भारत के रणनीतिक क्रूड ऑयल रिजर्व को भरेगी! भारत का क्रूड ऑयल रिजर्व 2020 आते आते भर चुका था!

जब से भारत ने ईरान से तेल खरीदना बंद किया तभी से इसका असर चाबहार पर दिखाई पड़ने लगा था!

जाहिर सी बात है, हर देश पहले अपना फायदा अपना हित देखेगा! ईरान ने भी वही किया और भारत ने भी अपना फायदा देखा!

आज ईरान ने चाइना से डील करने के बाद भारत का चाबहार रेल प्रोजेक्ट होल्ड पर डाल दिया है! देखा जाए तो ईरान भारत दोस्त है लेकिन अमेरिकी प्रतिबंध के कारण ईरान का एक सबसे बड़ा तेल खरीददार किसी दूसरे देश का रुख कर ले तो दर्द होना स्वाभाविक है!

अब इसपर भारत की क्या प्रतिक्रिया होगी मुझे नहीं पता!

वर्तमान में भारत के लिए ईरान उतना महत्वपूर्ण नहीं जितना महत्वपूर्ण अमेरिका है! भारत को अफगानिस्तान और यूरोप तक अपना माल सप्लाई करने के लिए ईरान के चाबहार पोर्ट की आवश्कता थी!

ये बड़ा प्रोजेक्ट है! ईरान इसे रद्द करने की सोच कर भारत से अपने संबंध खराब नहीं करना चाहेगा! जो रेल प्रोजेक्ट पर रोक लगाई है हो सकता है पीएम मोदी से बातचीत के बात कोई रास्ता निकल जाए और भारत ईरान के बीच जो भी मतभेद पैदा हुए है वो दूर हो जाए!

अगर ईरान चीन की वजह से भारत से अपने रिश्ते खराब करना चाह रहा है तो ये ईरान की सबसे बड़ी बेवकूफी होगी!

भारत को ईरान की जरूरत सिर्फ तब तक है जब तक पाकिस्तान के कब्जे में गिलगित बाल्टिस्तान है! ध्यान रहे भारत की सीमा अफगानिस्तान से भी लगी हुई है, जिसपर पाकिस्तान ने कब्जा कर रखा है!

अब अगर भारत को यहां वापस से कब्जा प्राप्त करना है तो भारत का सबसे बड़ा सहयोगी अमेरिका बनेगा ना कि ईरान! अगर इस नजरिए से देखा जाए तो भारत ने दूसरी बार अमेरिका द्वारा ईरान पर लगाए गए प्रतिबंधों को मान कर और पिछले कुछ वर्षों में अमेरिका से रिश्ते मजबूत करके भविष्य की रूपरेखा तय की है!

मोदी सरकार की रणनीति देखकर एक बात तो क्लियर है कि गिलगित बाल्टिस्तान पाकिस्तान के कब्जे में ज्यादा दिन तक अब और नहीं रह सकता! अब तो चीन का हव्वा भी गलवान में भारतीय वीरों के पराक्रम ने समाप्त कर दिया है!

दूसरी तरफ चीन का सीपेक भारतीय क्षेत्र गिलगित बाल्टिस्तान से होकर गुजरता है! जिसके जवाब में भारत ने एक रणनीति बनाई थी जिसमे ईरान के चाबहार पोर्ट की भारत को आवश्यकता थी!

इस वक़्त पूरी दुनिया चीन के खिलाफ है! अमेरिका रूस ऑस्ट्रेलिया जापान इजरायल आदि देश खुलकर भारत के समर्थन में है और चीन के प्रति भारत का रुख भी आक्रामक है! मोदी सरकार में कड़े निर्णय लेने की क्षमता भी है लेकिन एक सवाल उठता है, क्या देश की जनता युद्ध के लिए तैयार है ? 2020 या भविष्य का युद्ध अतीत में हुए युद्ध की तुलना में बिल्कुल अलग होगा और ज्यादा विनाशकारी भी हो सकता है! इसीलिए मोदी सरकार 6 साल से सेना को पल पल शक्तिशाली बनाने में लगी है!

देखा जाए तो वर्तमान में भारत पाकिस्तान पर हमला करके अपना PoJK छुड़ा सकता है! इसमें चीन को रोके रखने के लिए अमेरिका, जापान, रूस आदि देश महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे और पाकिस्तान को रेलने के लिए तो भारत अकेला सक्षम है, फिर भी भारत के साथ कई मित्र देश होंगे, उधर से अफगानिस्तान भी पाकिस्तान को रेल देगा! चीन ज्यादा तीन पांच करेगा तो अक्साई चिन से भी हाथ धोएगा!

एक बार भारत पुनः PoJK पर अपना कब्जा प्राप्त कर ले उसके बाद भारत को ईरान के चाबहार की आवश्यकता ही नहीं रहेगी! क्योंकि सीपेक नहीं रहेगा, दूसरी तरफ भारत सड़क या रेल मार्ग से अफगानिस्तान, कजाकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान और रूस के रास्ते सीधा अपना माल यूरोप तक बेच सकता है!

लेकिन जब तक ऐसा नहीं हो रहा है तब तक भारत के लिए चाबहार महत्वपूर्ण है, हालांकि बाद में भी महत्वपूर्ण रहेगा लेकिन तब भारत के पास गिलगित बाल्टिस्तान के रूप में एक विकल्प होगा!

अब अगर ईरान चाहे तो चीन के चक्कर में भारत से पंगा लेकर अपना एक बड़ा मार्केट खो सकता है, अपना दोस्त खो सकता है! उम्मीद है ईरान कभी ऐसी गलती नहीं करना चाहेगा!

#TrustNaMo #ModiMatters

✍️ Abhijeet Srivastava