Ghanshyam Prasad's Album: Wall Photos

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एक काला आदमी लंदन में रहकर गोरो के साथ पढ़ सकता है
एक होस्टल के एक कमरे में रह सकता है
एक मेस में खा सकता है
फिर ट्रेन में एक साथ सफर करने में फेंक दिया जाता है
बात हजम नही होती

यही आदमी बाद में उन्हीं गोरों की सेना में सार्जेंट मेजर बनता है
दक्षिण अफ्रीका में ब्रिटिश बोर वार में उसकी तैनाती एम्बुलेंस यूनिट में होती है

मिलिट्री यूनिफॉर्म में उन करमचंद जी की फोटो पूरे इंटरनेट पर उपलब्ध है
सार्जेंट मेजर गांधी लिखकर सर्च कर लीजिए

अचानक वे मिलिट्री यूनिफार्म उतार देते हैं
और बैरिस्टर घोषित हो जाते हैं

फिर उनको महात्मा बुद्ध की तरह शांति अहिंसा का दूत बनाकर दक्षिण अफ्रीका से सीधे
चंपारण भेज दिया जाता है
जहाँ नील उगाने वाले किसानों के आंदोलन को वे हैक कर लेते हैं
हिंसक आंदोलन को अहिंसा शांति के फुस्स आंदोलन में बदल देते हैं

महात्मा बुद्ध की तरह दिन में एक धोती लपेट कर शांति अहिंसा के नाम पर
भारतीयों के हर उग्र आंदोलन की हवा निकाल कर उसे बिना किसी परिणाम के
अचानक समाप्त कर देते हैं
अंग्रेज चैन की सांस लेते रहते हैं

अहिंसा के पुजारी..
दिन में बुद्ध और रात में महावीर जैन की तरह दिगम्बर हो जाते हैं

महावीर जैन नंगे थे
पर पतित नहीं

ये नंगा फकीर अपने साथ अपनी बेटी भतीजी के अलावा अनेक औरतों के साथ
नंगा सोता है
और अपने स्टेमिना को चेक करने को ब्रह्मचर्य का प्रयोग कहता है

अंग्रेजों के इस एजेंट ..इस जासूस का नाम दिन में करमचंद और रात को गरमचंद हो जाता है
और आज भी यह परंपरा चल रही है

हर फिल्म में विलेन का नाम रोबर्ट और जासूस का करमचंद ही क्यों होता है..??

यह अहिंसा का पुजारी..
प्रथम और द्वितीय विश्वयुद्ध में
अंग्रेजों का खुला साथ देता है
भारतीयों को कहता है
सेना में भर्ती हो जाओ और युद्ध करो ताकि ब्रिटिश राज बचा रहे

देश को बांट देने वाला राष्ट्रपिता बन जाता है
लाखों को मरवा देने वाला अहिंसा का पुजारी
और महात्मा बन जाता है

पर गांधी शब्द एक ब्रांड है
एक ढाल है
बालाकोट करना है
गांधी के नाम पर करना होता है

कल संसार भर में हमको भी आतंकियों को मारना है
जेहादियों को कूटना है
इसे हमें गांधी के नाम पर
अहिंसा और शांति की स्थापना के नाम पर करना होगा

गांधी बहुत मजेदार थीम है
इसलिए मोदी जी..
गांधी गांधी करते हैं..

समझा करो..मित्रों
गोडसे तलवार हैं
गांधी ढाल हैं

और इंटरनेशनल कम्युनिटी गांधी नाम की ढाल के पीछे ही अपनी तलवार वर्षों से छिपा रही है
जीसस के प्रेम पीस और क्षमा के नाम पर
दूसरे देशों पर कब्जे कर रही है

इस्लाम भी अमन और भाई चारे का मजहब है
वे भी अपनी तलवार इसी ढोंग के पीछे छिपाए बैठे हैं

आप भी यही खेल खेलिए
विश्वास बड़ी चीज होती हैं....

अरुण शुक्ला