यह शायद विश्व का एक मात्र मंदिर है जिसका नाम भगवान के नाम पर ना होकर उसके शिल्पी के नाम पर है...
कई शक्तिशाली भूकंपो के बाद भी इस मंदिर को नुकसान नहीं पहुँचा तब विशेषज्ञों ने इसकी जाँच शुरू की और अंततः इस मंदिर के एक पत्थर को तोड़कर पानी में डाला तो वह पानी पर तैरने लगा । बाद में पता चला कि ऐसे हल्के पत्थरो से बने होने के कारण ही इस मंदिर को क्षति नहीं पहुँचती । अब सवाल है कि जब दुनियाँ में इस तरह के पत्थर कहीं नहीं मिलते तो क्या रामप्पा ने ही 800 साल पहले ये पत्थर खुद बनाये ?