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#कोला_सुपरडीप_बोरहोल...नर्क का द्वार

धरती को मुख्य रूप से तीन भागो में बांट सकते है. ये भाग है क्रस्ट, मैंटल और कोर...क्रस्ट के दो भाग है ऊपरी सतह को सियाल जिसकी औसत मोटाई 11 किलोमीटर और इसके मुख्य अवयव सिलिका और एल्युमिनियम है. तथा दूसरा सीमा जो सियाल से 22 किलोमीटर नीचे तक है. यह बेसाल्ट से बनी है और इसमें सिलिका और मैग्निसियम है. अतः क़ुल मिलाकर क्रस्ट कि मोटाई 33 किलोमीटर हुयी.इसे ऊपर की ठोस परत कहा जाता है। इसके बाद की परत का नाम है मैंटल। मैंटल हमारी धरती की त्रिज्या लगभग 40% हिस्सा है। कई भूवैज्ञानिक इसके बारे में ज़्यादा जानकारी पाने के लिए खुदाई करना चाहते हैं।

1958 में अमेरिकन वैज्ञानिकों ने प्रोजेक्ट मोहोल शुरू किया जिसमें उन्होंने मेक्सिको के पास प्रशांत महासागर के तल में खुदाई शुरू की लेकिन अमेरिकी सरकार ने 1966 में उनकी फंडिंग बंद कर दी इससे पहले कि वे मैंटल तक पहुंच पाते। इसके बाद तो धरती की खुदाई भी स्पेस रेस जैसी हो गई जिसमें अमेरिका और रूस एक दूसरे को हराने की कोशिश में लग गए।

इसी वज़ह से रूस ने 1970 में कोला प्रायद्वीप पर खुदाई शुरू की। 9 इंच व्यास वाले इस गड्ढे को अगले बीस साल तक गहरा किया गया। इस बीच कई बार मशीनें खराब हुईं और कई बार तो ड्रिल मशीनें जाम हो गईं।आज इसे कोला सुपरडीप बोरहोल कहा जाता है और ये दुनिया में सबसे अधिक गहराई तक खोदी हुई जगह है। इसकी गहराई 12262 मीटर है। जिसे नर्क का द्वार भी कहा जाता है ये दुनिया में मौजूद सबसे गहरा बोरहोल है।

लगातार 19 साल खोदने के बाद 1992 में इस खुदाई को बंद कर दिया गया इसके बंद होने का प्रमुख कारण था ज्यादा तापमान होना। पृथ्वी के इस हिस्से का तापमान लगभग 180 डिग्री सेल्सियस था, जो वैज्ञानिको की सोच से कहीं अधिक था। वैज्ञानिकों का मानना था कि पृथ्वी के इतनी अंदर जाने पर तापमान 100 डिग्री सेल्सियस से ज्यादा नहीं होगा।

क्योंकि इतने अधिक तापमान पर काम करना आसान नहीं होता इसलिए इस प्रोजेक्ट को बंद करना पड़ा। दूसरा कारण था कि जितना अधिक हम पृथ्वी के अंदर जाएंगे उसका घनत्व उतना ही बढ़ता जाएगा और इतने अधिक घनत्व में गड्ढा खोदने के लिए बहुत ज्यादा ऊर्जा चाहिए और उतना ही ज्यादा पैसा, जिसके कारण इसे बंद कर दिया गया। तब साइंटिस्ट्स ने इस होल का नाम Door to Hell (नर्क का दरवाजा) रख दिया।

इसके अलावा कई और देशों और यहां तक कि निजी कम्पनियों ने भी ऐसी ही कोशिशें की पर कोला सूपरहोल अब तक का सबसे गहरा गड्ढा है। जमीन में 12 किलोमीटर की खुदाई करना अपने आप में किसी अजूबे से कम नहीं है पर आपको जानकर हैरानी होगी कि सतह से लेकर धरती के कोर तक जितनी गहराई है ये उसका 0.2% भी नहीं है साइंटिसट के मुताबिक धरती की गहराई 6400 किलोमीटर नीचे है, जहां पहुंचने का सोचा भी नहीं जा सकता। फ़िलहाल रूस का कोला सुपर डीप बोर होल ही सबसे गहरा कृत्रिम होल है। भविष्य में कुछ अच्छी मेटलर्जी बनाकर कुछ बेहतर यंत्र तैयार करके हम कुछ और नीचे खोद सकने में सफल हो सकते है जो यंत्र अधिकतम तापमान पर काम कर सकने में सक्षम हो तब ही और नीचे ड्रिल कर इतिहास रच सके और पृथ्वी के अंदर के राज़ जान सके।

Dharmendra Kumar Singhji द्वारा
Dinesh Patel जी की वॉल से..