Ghanshyam Prasad's Album: Wall Photos

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राममंदिर के संघर्ष से जुड़े सारे ऐतिहासिक तथ्यों को एक "टाइम कैप्सूल" में पृथ्वी के 2000 फीट भीतर गाड़ा जाएगा ताकि सारी जानकारियां सुरक्षित रह सकें।

चमचों, मोदी जी की सोच वहाँ से शुरू होती है, जहाँ तुम सोचना खत्म करते हो !
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"टाइम कैप्सूल" एक बॉक्स होता है, जिसमे वर्तमान समय की जानकारियां भरी होती हैं। देश का नाम, जनसँख्या, धर्म, परंपराएं, वैज्ञानिक अविष्कार की जानकारी इस बॉक्स में डाल दी जाती है। कैप्सूल में कई वस्तुएं, रिकार्डिंग इत्यादि भी डाली जाती है। इसके बाद कैप्सूल को कांक्रीट के आवरण में पैक कर जमीन में बहुत गहराई में गाड़ दिया जाता है। ताकि सैकड़ों-हज़ारों वर्ष बाद जब किसी और सभ्यता को ये कैप्सूल मिले तो वह ये जान सके कि उस प्राचीन काल में मनुष्य कैसे रहता था, कैसी भाषाएं बोलता था।

किसी प्राचीन गुफा की खोज होती है तो उसकी दीवारों पर हज़ारों वर्ष पुराने शैलचित्र पाए जाते हैं। ये भी एक तरह के टाइम कैप्सूल ही है, जो एक ख़ास तरह की स्याही से दीवारों पर उकेरे गए थे।

उनकी स्याही में इतना दम था कि हज़ारों वर्ष पश्चात् की पीढ़ियों को अपनी कहानी पढ़वा सके। भारत के प्राचीन मंदिरों में स्थापित शिलालेखों का उद्देश्य यही था, जो आधुनिक काल में टाइम कैप्सूल बनाने वालों का है।

✍..Pankaj M Mundhiyara .. से साभार
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