राम मंदिर के भूमि पूजन की तिथि निकट आ रही है । पहले जैसे ऋषि मुनियों के हवन कुंड में राक्षस गण हड्डियां फेंक कर विघ्न बाधा उत्पन्न करते थे ,आज भी कोई कोर्ट में याचिका दायर कर रहा है ,कोई मुहुर्त की बात उठा रहा है, कोई मोदी के उपस्थित होने पर चिल्ला रहा है ,कोई गो भक्त फ़ैज़ के जाने पर बिलबिला रहा है ... ये सभी हवन कुंड को दूषित करने वाले राक्षस हैं
लेकिन हमारे पास महर्षि वशिष्ठ की श्रेणी के साधक हैं 92 वर्षीय के पाराशरन ।पूर्व एटौर्नी जेनरल,पद्म विभूषण कट्टर रामभक्त ।
पूर्व में ये रामसेतु मामले में भी सरकार के खिलाफ खड़े थे फिर सबरीमाला में धर्म की रक्षा के लिए खड़े थे
और अयोध्या मामले में रामलला के वकील की भूमिका निभाते हुए राममंदिर निर्माण में जो इनका योगदान है उसे बताने की जरूरत नहीं है।जब इनके राम मंदिर मामले में रोजाना सुनवाई की मांग पर विरोधी पक्ष ने आपत्ति की और तंज किया कि अब आपकी उम्र आराम करने की है तो इन्होंने ये पंक्ति सुनाईं....राम काज किन्हे बिना मोहें कहां विश्राम
फिर हाथ जोड़कर अश्रुपूरित नेत्रों से देखते हुए कहा कि बस यही लालसा है कि आंखें बंद होने के पहले राममंदिर बन जाए
ऐसे कर्मठ योद्धाओं को नमन
आप को हम सबों की उम्र लग जाए ।
निरंतर नारायण