हरियाणा का एक प्रांत है जिसका नाम है मेवात वहां पर पहले हिंदुओं की संख्या मुसलमानों की संख्या से अधिक थी वहां पर आपस में प्रेम सौहार्द और भाईचारा एक दूसरे के धर्म का सम्मान करना बिल्कुल सहज था परंतु समय धीरे-धीरे परिवर्तित होने लगा इस्लाम का झंडा केसरिया झंडे को कुचलने लगा जिधर देखो उधर ही हमारे मियां भाई ही दिखाई देने लगे हिंदू भाई लोग धीरे-धीरे अपने घर में अथवा अपने घर को छोड़कर के जाने लगे मैंने भी सच जानने की भरसक प्रयास किया मुझे भी विश्वास नहीं हो रहा था ऐसे कैसे कोई मुस्लिम हिंदुओं के खून का प्यासा हो जाएगा जो साथ में पला बढ़ा साथ में रहा वह कैसे उनको भगाने लगा परंतु मेरा विश्वास धरा का धरा रह गया मुझे भी एहसास जल्दी हो गया मैं भी जाग गया यह कभी भी अपने बढ़ती जनसंख्या का प्रभाव अपने इस्लाम का प्रचार अल्लाह के अलावा कोई भी इबादत के योग्य नहीं है इसके अलावा न तो यह विश्वास करना चाहते हैं और ना ही विश्वास करने देते हैं।
प्रश्न यह है जहां पर दो विचारधाराओं की लड़ाई एक विचारधारा सबको अपना मानता है और दूसरा विचारधारा अपने के अलावा किसी को मानता ही नहीं।।।