बीबीसी के विख्यात पत्रकार मार्क टुली नें ब्यान दिया है कि "मोदी इस देश के उस बडे बरगद को उखाड़ कर गिरा रहे हैं जिसमें वर्षों से विषैले कीड़े लगे हुए थे... इसके लिए उन्हे लगातार महासंघर्ष करना होगा"
मोदी जी नें देश में छुपे सारे जहरीले नागों की बाम्बी में एक साथ हाथ डाल खोलता तेल उड़ेल दिया है,इसलिये ये नाग फुफकार रहे हैं, कांग्रेस, वामपंथ, जेहादी, नक्सली, मिशनरी सहित हर तरह के नागों को कांग्रेस नें अपनें पास छुपाए रखा था, भारत भूमि को बर्बाद करने के लिए...वो तो अच्छा हुआ कि मोदी जी सत्ता में आ गये और इन जहरीले नागों से देश को परिचित और सतर्क कर इन्हें बेनकाब कर दिया, वरना ये जहरीले नाग आनें वाले समय में इस भारत भूमि और हिन्दूओं को निगल जाते और हमारी आनें वाली पीढ़ियों के पास सिवाय रोने, बिलखने के इलावा कुछ नही बचता...?
मोदी जी को बहुत संघर्ष करना होगा और मोदी जी संघर्ष कर भी लेंगे, परन्तु इस देश वासियों को खासकर हिन्दुओं को मोदी जी के साथ डट कर खड़ा रहना होगा, क्योंकि मोदी जी नें ये जंग अपनें लिये नहीं,बल्कि हमारे बच्चों,आनें वाली पीढियों और भारत के उज्जवल भविष्य के लिए छेड़ी हुई है... मोदी जी व मोदी जी की टीम अपना काम पूरी निष्ठा व ईमानदारी से कर रही है हमे भी अपनी भूमिका को इधर या उधर स्पष्ट कर निर्णायक मोड़ देना होगा... भारत मे रहने वाले एक पांच टेम के अरबी भेड़िये ने रिपब्लिक टीवी के मालिक के खिलाफ फिर से FIR करवाई है...शिकायत क्या है वो आप तलाशिये
मेरे कहना बस इतना है कि अभी तो खेल शुरू हुआ है...अपने खिलाफ़ सच्चाई बर्दाश्त नहीं होती इनसे और वो भी किसी काफ़िर के श्रीमुख से...?
ये तो भारत है जहां अभी थोड़ा बहुत लोकतंत्र है,होता कोई अन्य स्थान तो अर्णब की गर्दन पर सल्ल फेरकर दफ्तर में आग लगा दी गयी होती और वीडियो रिलीज किये जाते...जिसे हममें से अधिकतर कुछ दिन सैड और एंग्री इमो लगाकर अपने दोस्तों को भेजते और फिर शांत हो जाते... कमलेश तिवारी कितनों को याद है... भई दीनी दस्तूर तो यही है बाकी भाईचारा बना रहे...लोगों की स्मृति में आगरा और चार्ली एबेदो की याद भी धूमिल हो रही है...?
भाईजान लोगों से अपील है कि कुछ नया करो यारों... निकलो तो सही...मजा नही आ रहा है... काफ़िर तुम्हारे झूठे प्यार में फिर से गोते लगाने को तैयार बैठे हैं... खैर...अर्णब तो पैसे वाला है,लड़ लेगा और लड़ भी रहा है... लेकिन हमारा क्या है... कभी ऐसी मुसीबत आयी(मेरे साथ तो रोज मुसीबत खड़ी है आधी से ज्यादा तो घरबार छोड़ खुद ही मोल ले ली)तो सोचना क्या करोगे,किसके पास जाओगे, कौन नेता बचाएगा... मैं डरा नही रहा हूँ बस आपको वस्तु स्थिति के बारे में बता रहा हूँ... जहां तक मेरी बात है तो अपन के कोई आगे पीछे ना है... सब छोड़ छाड़ निकल लिया हु... मुझे मेरा लक्ष्य पता है मेने क्या करना है क्या नही...लिखता हूँ लिखता रहूंगा...अपनी मौत मरा तो भी बढ़िया और मारा गया तो भी बढ़िया...अपनी मौत मरा तो अपने हिस्से की लड़ाई जरूर मुकाम तक पहुंचा जाऊंगा... कहना बस इतना है कि हिंदुओं अपनी व्यवस्था खड़ी करो अपनी... तीनों गिरोहों के पास अपनी अपनी एक व्यवस्था है... व्यवस्था से व्यवस्था ही टक्कर ले सकती है, व्यक्ति नहीं... इसका पहला कदम है व्यक्तिगत श्रेय की लालसा त्याग कर काम करना और न कि किसी को बलि का बकरा बनाना है बल्कि संगठन के रूप में ही एक पहचान बनानी है जो हो रहा है, जो होगा वह ईश्वर की इच्छा ही बताना होगा... माओ का "let a hundred flowers bloom" वाला धोखा कभी न भूलें... कठिन है मगर असंभव नहीं, और अगर आप को लगता है कि बिना श्रेय लिए आप काम नहीं कर सकते तो खुद न जुड़ें मगर ऐसे गुमनाम काम करने वालों को आर्थिक समर्थन दें... सही सीख चाहे दुश्मन से भी मिले, लेनी चाहिए...!!!