Ashok Sanatani's Album: Wall Photos

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लखनऊ की पहचान नवाब, इमामबाड़ा और बिरयानी से है तो आगरा की पहचान ताजमहल से है… अज़मेर की पहचान चिश्ती की दरग़ाह से है तो अहमदाबाद की पहचान हिलती मीनारों से है…हैदराबाद की पहचान निज़ामशाही,चारमीनार और बिरयानी से है तो दिल्ली की पहचान भी तमाम मुग़ल इमारतों से है… फतेहपुर सीकरी की पहचान अकबर के किले से है तो गोआ की पहचान चर्च से है... मुम्बई की पहचान हाज़ी अली दरग़ाह और अंग्रेजों के इण्डिया गेट से है तो बाराबंकी की पहचान पारिजात वृक्ष से नहीं अपितु देवां शरीफ़ से है, उत्तर भारत में एक भी प्राचीन सनातन मंदिर का नाम कभी याद करके बताइये जो आज भी सकुशल मौजूद हो...? अयोध्या, काशी, मथुरा समेत लगभग सभी धार्मिक स्थलों को छः सौ वर्षों के मुस्लिम शासन में चुन-चुनकर लूट और धूलधूसरित करके मस्जिदें तामीर कर दी गईं… आर्यों की प्रमुख कर्मभूमि अब ज़िहादी अफगानिस्तान और पाकिस्तान बन गए… सोमनाथ मंदिर समेत पूरे भारत के प्राचीनतम सनातन मंदिरों का यही हश्र हुआ… बेरहम लूट और नृशंस क़त्लेआम के साथ इस्लाम के नाम पर काफ़िरों के तीर्थस्थलों को आज़ादी मिलने तक नेस्तनाबूद किया गया... किन्हीं कारणों से जगन्नाथ पुरी, कोणार्क और दक्षिण भारत के कुछ मन्दिर काफ़ी कुछ बच गए… यही नहीं इस सनातन हिन्दू देश के तमाम शहरों को अब मुस्लिम आक्रांताओं के नाम या उनकी पहचानों से जाना जाता है… पूरे भारत में छोटे-बड़े शहरों और कस्बों की कमोबेश यही स्थिति है… पूरा कश्मीर सनातन धर्म के अनुयायियों और स्थलों से विहीन होकर दारुल इस्लाम बन चुका है…मणिपुर, नगालैण्ड, मेघालय, केरल में हिन्दू अल्पसंख्यक हैं…असम, बिहार, तमिलनाडु, गोवा, त्रिपुरा, बंगाल की स्थिति भी धर्म के आधार पर नाज़ुक है... यशस्वी सनातन धर्मी राजाओं के नाम पर शायद ही कोई नगर, कस्बा, सड़क, इमारत, संस्थान, पार्क या सार्वजनिक स्थल ढूंढे से भी नहीं मिलेगा... अय्याश, लुटेरे, बदचलन हत्यारे कट्टर मुस्लिम बादशाहों, नवाबों, जमींदारों, ओहदेदारों, पीरों के नाम पर पूरे भारत में नगर, कस्बे, गांव, मोहल्ले, सड़क, इमारतें, किले, पार्क, मक़बरे, स्मारक और सार्वजनिक स्थल मिलेंगे... प्राचीन मंदिर भले न ढूंढे मिले लेकिन हर शहर, कस्बे में भव्य मस्जिदें,जामा मस्जिदें, ईदगाह ज़रूर मिलेंगे... श्मशान भले न मिलें लेकिन विशाल कब्रिस्तान ज़रूर मिलेंगे... वो चाहे झुककर आये चाहे अकड़कर आये,हमने स्वागत में पलक पाँवड़े बिछा दिए या जौहर करके प्राण न्योछावर कर दिए…वो हमें डराते सिकोड़ते गए,हम डरते सिकुड़ते गए…अफगानिस्तान के बाद पाकिस्तान, बांग्लादेश भी उन्होंने दबंगई से ले लिया और फिर कश्मीर से भी हमें योजनाबद्ध ढंग से काँग्रेस के सहयोग से भगा दिया… लाखों बर्बर क़त्लेआम और अरबों की संपत्ति के साथ पाकिस्तान देने के बाद भी एक उससे बड़ा पाकिस्तान आज हम सिर पर ढो रहे हैं... वो मनमानी करते रहे और हम उनके एक वोट की ख़ातिर सेक्युलरिज़्म का झण्डा लेकर गंगा-जमनी कौमी एकता के तराने गाते रह गए… हिन्दू कोड बिल हम पर थोप दिया गया… लेकिन यूनिफॉर्म सिविल कोड तो छोड़िए उन्हें मुस्लिम कोड बिल भी नामंजूर है… हम संविधान से चलना चाहते हैं, वो १४०० साल पुरानी कबायली शरीयत से… हम आधुनिक शिक्षा चाहते हैं, वो ज्यादा से ज्यादा मदरसे… हम कुरीतियों से पूरे भारतीय समाज को दूर करना चाहते हैं, वो ज्यादा से ज्यादा दकियानूसी बने रहना चाहते हैं… जिनको भारत माता की जय पर परहेज़ है उन्होंने अब जय भीम जय मीम का नारा देकर अनुसूचित जातियों और अन्य हिंदुओं में दरार डालनी भी शुरू कर दी… इधर रमज़ान में गंगा-जमनी संगम के मंदिरों में गले तक इफ्तारी भकोस रहा लखनऊ का इस्लाम अचानक से ख़तरे में पड़ गया... तमाम सुन्नी मौलानाओं ने कहा है कि मस्ज़िद के सामने वाले चौराहे पर मूर्ति लग जाने से मस्ज़िद में पढ़ी जाने वाली नमाज़ वाज़िब नहीं होगी… जब काशी और मथुरा समेत पूरे भारत में हज़ारों मस्जिदें कब्ज़ाई जगहों पर मूर्ति वाले मंदिरों से सटाकर बनाई गई हैं तो उन मस्ज़िदों में नमाज़ कैसे वाज़िब होती है…अतिव्यस्त रेलवे प्लेटफ़ार्मों, भीड़ भरी ट्रेनों, भरे हुए फुटपाथों, सार्वजनिक पार्कों, भीड़ भरी सड़कों,मूर्तियां लगे चौराहों,मूर्तियां लगे स्मारकों पर हरेक जुम्मे को अदा की जाने वाली नमाज़ कैसे वाज़िब होती है…ग़ैर मुस्लिम राष्ट्रपति, पीएम, सीएम, मंत्रियों, विधायकों, राजनीतिक अलम्बरदारों, राजदूतों वग़ैरह के कार्यालयों या आवासों पर अदा की गई नमाज़ और इफ़्तारी कैसे वाज़िब होती है…वैसे वहाँ भी छोटी या बड़ी मूर्तियाँ रहती होंगीं तो...तमाम प्राचीन हिन्दू-बौद्ध-जैन मंदिरों को तोड़कर उनके मलबे और भग्नावशेषों पर तामीर मस्ज़िदों में अदा की गई नमाज़ कैसे वाज़िब होती है…?
दरअसल भारत का इस्लाम अब अरबी वहाबी इस्लाम के रास्ते चल चुका है जिसमे सच्चे और कट्टर मोमिन मुल्क के अच्छे और उदार मुसलमानों पर हावी होते जा रहे हैं… और इस कार्य मे वामी, काँग्रेस, समाजवादी, लिबरल-सेक्युलर समेत तमाम सत्ता लोलुप क्षेत्रीय राजनीतिक दल इनके सहयोगी हैं… सवाल यह है कि वो कब तक हमें दबाकर, धमकाकर, भसड़ मचाकर, फूट डालकर, राजनेताओं के गठजोड़ से हमें डराते दबाते सिकोड़ते जाएंगे और हम अपने ही सनातन मुल्क में दबते सिकुड़ते हुए पीड़ित-शोषित होकर भी भाईचारे में दांत चियारते रहेंगे… मूर्तियां तो बसपा ने भी ढेरों लगवाईं और तमाम राज्यों में तमाम सरकारों ने… तो फिर लक्ष्मण की मूर्ति पर विवाद क्यूँ... विशेषकर उस टीले वाली मस्ज़िद के लोगों द्वारा जो मस्ज़िद लक्ष्मण मन्दिर के भग्नावशेषों से बने टीले पर ज़बरन तामीर हुई हो… धर्म केवल शब्दों और उपदेश का विषय नहीं है, उसे धारण करके आगे बढ़ाना होता है…धर्मो रक्षति रक्षितः…
हम धर्म की रक्षा कर पाएंगे तभी धर्म हमारी रक्षा कर पायेगा… और धर्म की पहचान में उसकी समूची संस्कृति भी शामिल है और उसके धार्मिक रीतिरिवाज़ और स्मारक भी... इसलिए हमें समूची सनातन संस्कृति की रक्षा के लिए प्राथमिकता के तौर पर मुख़र होना ही होगा… धर्म रक्षा के लिए टकराना भी धर्म ही है… कायरतापूर्ण समर्पण अधर्म है... इसलिए जागो समय नही बचा है सोने के लिए अगर अभी नही उठे तो सोते ही रह जाएंगे... भारत में एक बहुत भयंकर षड्यंत्र की तैयारी चल रही है...
नीचे दिए लक्षणों में से एक भी दिखे तो अलर्ट हो जाइए... thukla आपके इलाके में एक दुकान किराये पर लेता है फिर वह अपने जान पहचान वाले thukle को भी एक दुकान किराये पर दिलवाता है देखते ही देखते उस इलाके में बहुत सारे thukle दिखाई देने लगते हैं फिर उस इलाके के thukle हिन्दू नाम रखकर हिन्दू लड़कियों को प्यार के झांसे में फसाकर उनसे शादी कर लेते हैं और हिन्दू लड़की भी थूकली बन जाती है फिर जैसे ही थूकलो को यह पता चलता है कि उनकी आबादी उस इलाके में चालिश % के आसपास हो गई है तो फिर थूकलो को हिन्दुओं से दिक्कत होने लगती है आखिर में दंगों जैसी स्थिति हो जाती है फिर thukla किराया देना बंद कर देता है...जिन हिन्दूओं ने किराए के लालच में अपनी दुकानें किराए पर चढाई थी उन्हें अपनी दुकानों से हाथ धोना पड़ता है...सभी हिन्दूओं को अपना इलाका खाली करना पड़ता है क्योंकि थूकलो को हिन्दूओं से दिक्कत होने लगती है और वह हिन्दूओं को तंग करना शुरू कर देते हैं मन्दिर के बाजू मे मांस मच्छी की दुकानें खोल दी जाती है और साथ में मस्जिद व मजार बना दी जाती है अन्त में मन्दिर गिरा दिया जाता है यह काण्ड दिल्ली, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश, राजस्थान पर जोरों से हो रहा है...
इससे बचने का एक आसान तरीका ये है कि
अपनी दुकान थूकलो को किराये पर न दे...thukla तीन चार साल किराया देगा फिर आपकी दुकान पर कब्जा कर लेगा...
एक सुझाव और छोटी सी कहानी के जरिये...
आप रोड पर जा रहे हैं, आपकी तू-तू मैं-मैं किसी जेहादी सूअर के पिल्ले से हो गई गलती उसकी थी, पर जिहादी अपनी गलती कहां मानेगा तो बात बढ गई, आपने भी आव देखा ना ताव, तुरंत सौ नंबर पर फोन किया और पुलिस को सूचित कर दिया इसी बीच जेहादी दौड़ के गया और मांस काटने वाला छुरा लेकर आ गया,और घपा घप कर दिया आपके उपर छूरे से वार... अब जब तक पुलिस आई आप भगवान को प्यारे हो चुके थे परिवार वालों को शव देकर पुलिस को जो भी कार्यवाही करनी थी, उस जेहादी के खिलाफ वो कर भी दी...उसको जेल हो गई और आपको भगवान के श्री चरणों में जगह मिल गई और आपका परिवार बर्बाद हो गया... जेहादी दो महीने बाद जमानत लेकर जेल से बाहर आ गया, अब बरसों तक मुकदमा चलेगा और बाद में वह जेहादी सबूत या गवाह के अभाव में या शक की बुनियाद पर बाइज्जत बरी हो जाएगा...यह तो हुआ कहानी का एक पहलू...!
चलिये इस कहानी का दूसरा पहलू भी देखते हैं जब जेहादी हथियार लाने दौड़ा था, आपने अपनी गाड़ी में से तलवार या पिस्तौल निकाल के हाथ में ले लिया और जेहादी के छुरा लाने पर आपने IPC की धारा ९६ के अनुसार आत्म रक्षा के लिए उस जेहादी पर गोलियां चलाईं, पांच फ़ायर ठोंक दिये उस पर... जेहादी हूरो के मजे लेने के लिए जहन्नुम चला गया, और आप जेल...जेल से दो महीने में जमानत लेकर आप घर आ गए, अब बरसों मुकदमा चलेगा और आत्म रक्षा के अधिकार के अनुसार आपको बाइज्जत बरी कर दिए जाएंगे और आप अपने परिवार के साथ हंसी खुशी से रहने लगे कौन सी कहानी अच्छी लगी आपको... पहली या दूसरी... दूसरी कहानी के लिये प्रयत्न आपको करना पड़ेगा, और पहली के लिये तो सरकार व संविधान ने सारी व्यवस्थाएं जेहादियों के अनुकूल बना ही रखीं हैं...???