मईया
जानती हूँ कि तुम अब इस दुनिया में नहीं हो पर तुमसे बात करने का लोभ संवरण नहीं कर पा रही।
कभी तुम्हारे साथ पहाड़ों पर जाने का मौका नहीं मिला। पर जब तुम वैष्णो देवी के दर्शन से लौटी थी तुमने ना जाने कितनी बार अपना अनुभव अक्षरशः सुनाया था। (वैसे भी मईया तुम्हारा हर अनुभव तुमने हमलोगों को इतनी बार सुनाया है