Meet Jhorar's Album: Wall Photos

Photo 1 of 1 in Wall Photos

यह तसवीर 13 साल की कोलम्बियाई लडकी ओमायरा सांचेज की है। इसकी 16 नवम्बर 1985 को कोलम्बिया के आरमेरा गांव में एक ज्वालामुखी में हुए विस्फोट के बाद नदी में बहकर आए मलबे में फंसने से मौत हो गई थी इस घटना में औरमेरो सहित 13 गांव पूरी तरह तबाह हो गए थे। और करीब 23 हजार लोगों की मौत हुई थी। ओमायरा अपने घर के नीचे ठंडे मलबे(नदी में बहकर आने से लावा ठंडा और गाढ़ा हो गया था) में मौत से पहले 3 दिन तक जिंदगी के लिए संघर्ष करती रही। फ्रेंच फोटोग्राफर फ्रेंक फर्नियर ने उसका यह फोटो खींचा जो सबसे पहले पेरिस मैच मैगजीनमें प्रकाशित हुआ। इस फोटो को बाद में वर्ल्ड प्रेस फ़ोटो ऑफ द ईयर का अवार्ड भी मिला। फर्नियर का फ़ोटो प्रकाशित होने के बाद इस पर काफी विवाद हुआ। उन पर आरोप लगे कि वे चाहते तो ओमायरा को बचा सकते थे।लेकिन उन्होंने बचाने के बजाय फ़ोटो खींचने में अपना वक़्त जाया किया। हालांकि फर्नियर ने यह कहते हुए सफाई दी कि,'जब तक मैं घटनास्थल पर पहुँचा,तब तक ओमायरा को मलबे में फंसे हुए 60 घंटे हो चुके थे वह घुटनो के बल दबी हुई थी कुछ ही घण्टे बाद उसकी मौत हो गई। मैंने स्टोरी केवल इसलिए की ताकि पूरी दुनिया को इस त्रासदी के बारे में पता चल सके। फर्नियर के दावे के अनुसार इस स्टोरी के बाद ही दुनिया का ध्यान कोलम्बिया की तत्कालीन सरकार के हादसे से निपटने में नाकारापन की और गया और बचे हुए लोगों के पुनर्वास के लिए काफी मात्रा में धनराशि एकत्र हो सकी।' बाद में यह साबित हो गया कि फर्नियर सही थे और वे चाहकर भी ओमायरा को बचा नही सकते थे। 60 घण्टो में मलबा कंक्रीट के रूप में ठोस हो चुका था और उसमें ओमायरा के पैर भी जम चुके थे उसे उसके पैरों से काटकर ही निकाला जा सकता था।उस समय कोलम्बिया की हालत इतनी खराब थी कि उसके पास उचित मेडिकल सुविधाएं भी नही थी इसलिए वहां उपस्थित डॉक्टरों ने निर्णय लिया कि ओमायरा को पैर काटकर निकालने के बावजूद उसके बचने के अवसर बहुत कम रहेंगे इसलिए अधिक मानवीय यह रहेगा कि उसे ऐसे ही मरने छोड़ दिया ज ए। इसके कुछ ही घण्टों बाद ओमायरा ने जिंदगी की आखिरी सांस ली। हालांकि स्थानीय प्रशासन थोड़ी तत्परता दिखाता तो ओमायरा को बचाया जा सकता था।