यह दृश्य है भारत के कर्नाटक राज्य के एक मंदिर का और इसी प्रकार के दृश्य आपको सम्पूर्ण भारत में और भी बहुत मिल जाएंगे जहां हमारे मंदिरों के अंदर देवी-देवताओं की मूर्तियां खंडित करके मंदिरों का विध्वंस कर दिया गया । ऐसे ही दिल्ली के मेहरौली स्थित कुतुबमीनार कैंपस की दीवारे चीख-चीख कर नपुंसकता को प्राप्त हो चुके सेक्युलर हिन्दुओं को बताती हैं कि लुटेरों ने उनके साथ क्या किया था ।
चीख-चीखकर ये खंडित मूर्तियां बताती है कि कुछ लोग यहां आए थे जिन्हें यह पसंद नहीं था । जब भी उन्हें कोई पसंद नहीं आता था वह उन्हें तोड़ दिया करते थे और पसंद आने पर उठा कर ले जाया करते थे ।
पसंद नहीं आने पर नालंदा को आग लगा दी जाती थी, और पसंद आने पर औरतें उठा ली जाती थी ।
आपको भारत में लगभग सभी राज्यों में ऐसे दृश्य देखने को मिलेंगे जहां पर टूटे हुए मंदिर और धरोहर आज भी मौजूद है..
क्योंकि कोई आया था यहां जिनको व्यक्ति से व्यक्ति को जोड़ने वाली संस्कृति पसंद नहीं थी ।
आज भी क्या बदला है, आज भी वही लोग फिर से वही सवाल लेकर तैयार खड़े हैं ।
आप मंगलसूत्र क्यों पहनते हैं.?
आप दीपक क्यों जलाते हैं.?
आप शंख क्यों बजाते हैं.?
आप घंटी क्यों बजाते हैं.?
आप मंदिर क्यों जाते हैं.?
आप गाय को क्यों पुजते हैं.?
आप वृक्षों को क्यों पुजते हैं.?
आप नदियों को क्यों पुजते हैं.?
आप केवल उनके सवालों का जवाब देते रहते हैं लेकिन आखिर कब तक आप उनके सवालों का जवाब देंगे ! ना तो उनको आपकी ये परंपराएं पसंद है ना ही आपकी यह संस्कृति ।
अगर आपको यह लगता है कि वह केवल आपसे यह सवाल पूछ रहे हैं अनजाने में.. तो आप गलत है.. अभी वह केवल आपसे सवाल पूछ रहे हैं.. जल्द ही वह इन्हें खत्म करने की भी तैयारी कर रहे हैं ।
आपको समझना पड़ेगा कि वह इस भूमि को कभी भी अपनी मातृभूमि नहीं मानते, ना ही आपके संस्कृति को अपना ।
आपको चाणक्य की बातों को याद करना चाहिए कि "अगर बाहरी लोगों को यहां आने दिया तो वह अपने आप को यहां आपके बीच में सुरक्षित करने के लिए सबसे पहले आपकी व्यक्ति से व्यक्ति को जोड़ने वाली संस्कृति पर वार करेंगे.. उस पर आए दिन सवाल खड़े करेंगे। "
देखिए आज वही फिर से होने लगा है वही सवाल फिर से हमारे बीच में है, और हम क्या कर रहे हैं !! या तो जाने अनजाने में हम उनके सवालों का जवाब देते हैं या फिर किसी पार्टी वाद की वजह से हमारे बहुत से लोग इन लोगों के साथ खड़े हो जाते हैं ।
आपको यहां समझना पड़ेगा कि यह लोग सबसे पहले हमारे समाज को तोड़ते हैं.. समाज जब टूटता है तो धर्म का पालन भी कम हो जाता है, और जब धर्म आगे नहीं बढ़ता तो संस्कृति भी रुक जाती है, और जब संस्कृति रूकती है तो राष्ट्र को मिटने से कोई नहीं रोक सकता, और जब राष्ट्र नहीं रहेगा तो फिर आप कहां से बचेंगे ! आप चाहे किसी भी जाति से हो किसी भी पार्टी से हो फिर आप भी नहीं बचने वाले ।
आपके पास इतना समय नहीं रह गया है, इसलिए आपसी मतभेदों को खत्म कर के आपकी संस्कृति पर हो रहे आघात और वार का प्रतिकार करें, ना कि किसी राजनीतिक परिवार की गुलामी में अपनी संस्कृति और सभ्यता को ही विस्मृत कर दे ।