अगर आप सोशल मीडिया पर मौज-मस्ती और टाइमपास करने के लिए मौजूद हैं तो कृपया आगे न पढ़ें क्योंकि मेरे इस लेख में आपके लिए कुछ भी नहीं है..
एक सामान्य सा नियम है कि....जब अनाथालय से कोई बच्चा गोद लिया जाता है तो उसे गोद लेने वाले दंपत्ति को...बच्चे के ओरिजिनल माता-पिता के बारे में कुछ नहीं बताया जाता है.
लेकिन, क्या आप जानते हैं कि ऐसा क्यों किया जाता है???
इसके बहुत से कारण के अलावा एक महत्वपूर्ण कारण यह भी है कि... अगर बच्चे को अपने बायोलॉजिकल अर्थात ओरिजिनल माता पिता के बारे में जानकारी मालूम हो जाएगी तो...
उस बच्चे का झुकाव अपने ओरिजिनल माता-पिता की तरफ अधिक हो जाएगा और हो सकता है कि वो अपने पालने वाले माता-पिता से उतना लगाव ना रखे.
इसीलिए...बच्चे को उसके ओरिजिनल (बायोलॉजिकल) माता-पिता की जानकारी कभी नहीं दी जाती है ताकि वो पालने वाले को ही अपना माता-पिता माने.
कुछ ऐसा ही...हमारे हिनू समाज के साथ किया गया है...
जब हमारा देश धर्म के आधार पर बंट गया और बकर दाढ़ियों ने अपनी जनसंख्या के हिसाब से अपनी जमीन ले ली तो...उसके बाद, स्वाभाविक रूप से हिंदुस्तान...हिनूओं का हो गया.
लेकिन...निहारु और गांडी ने सभी दाढ़ी को भेजने की जगह उन्हें यहीं रहने को बोल दिया.
परंतु...मुसीबत यह थी कि...समाज में दाढ़ियों की स्वीकार्यता नहीं के बराबर थी...
और,वे विदेशी आक्रान्ता और लुटेरों के वंशज माने जाते थे..और,वे आज भी स्वयं को वही मानते हैं,बाबर ,औरंगजेब के लिए लड़ते हैं,उन्हें लगता है कि उन्होंने इस देश पे हुकूमत की जबकि जिन्होंने हुकूमत की ये लोग उनके तलवार के आगे सलवार खोल देने वालो के वंशज हैं...
तथा,इस कारण समाज में घृणित थे.
इसीलिए... निहारु ने दाढ़ियों को सामाजिक स्वीकार्यता दिलाने के लिए एक षडयंत्र रचा... और, कोर्स की किताबों के माध्यम से हिनुओं को उसके इतिहास के काट दिया...!
साथ ही उसने संविधान में ऐसा प्रावधान (आर्टिकल 30 A) कर दिया कि हिनू अपने इतिहास से ना जुड़ सके..
क्योंकि, हिनू अपने इतिहास से जुड़ेगा तो वो मियाँ की हकीकत जान जाएगा और मियों को यहाँ रहने नहीं देगा.