#सनातन_धर्म_में_जीव_जंतुओं_को_भी_पूजने_का_है_विधानः
हिन्दू धर्म में पशु-पक्षियों को पूजने का विधान है. नाग पंचमी के दिन नागों की पूजा की जाती है।
महाभारत में नागों की उत्पत्ति का वर्णन मिलता है मान्यता है कि आज के दिन नागों की पूजा करने पर नाग देवता प्रसन्न होते है।
#मनसा_देवी_का_स्वरूप_एवं_मान्यताः
मान्यता अनुसार पंचमी के दिन घर के आंगन में नागफनी की शाखा पर मनसा देवी की पूजा करने से विष का भय नहीं रह जाता।
मनसा देवी की पूजा के बाद ही नाग पूजा होती है।
मनसा देवी को सर्प और कमल पर विराजित दिखाया जाता है।
कुछ जगहों पर हंस पर विराजमान बताया गया है। कहते हैं कि 7 नाग उनके रक्षण में सदैव विद्यमान हैं। उनकी गोद में उनका पुत्र आस्तिक विराजमान है।
#नाग_पंचमी_पूजा_सामग्रीः
नाग चित्र या मिट्टी की सर्प मूर्ति, लकड़ी की चौकी, जल, पुष्प, चंदन, दूध, दही, घी, शहद, चीनी का पंचामृत, लड्डू और मालपुए, सूत्र, हरिद्रा, चूर्ण, कुमकुम, सिंदूर, बेलपत्र, आभूषण, पुष्प माला, धूप-दीप, ऋतु फल, पान का पत्ता दूध, कुशा, गंध, धान, लावा, गाय का गोबर, घी, खीर और फल आदि की जरूरत पूजा के लिए होती है।
#नाग_पंचमी_शुभ_मुहूर्त
- नाग पंचमी 25 जुलाई, शनिवार नाग पंचमी पूजा मूहूर्त- सुबह 05 बजकर 39 से 08 बजकर 22 मिनट तक
- अवधि- 02 घण्टे 44 मिनट
- पञ्चमी तिथि प्रारम्भ- जुलाई 24 दोपहर 02 बजकर 34 मिनट पर
- पञ्चमी तिथि समाप्त- 25 जुलाई दोपहर 12 बजकर 02 मिनट पर
#नाग_पंचमी_पूजा_विधिः
इस दिन सुबह जल्दी उठकर घर की साफ सफाई कर स्नान कर स्वच्छ हो जाएं इसके बाद प्रसाद स्वरूप सिंवई और खीर बना लें।
अब लकड़ी के पटरे पर साफ लाल या पीले रंग का कपड़ा बिछाएं उस पर नागदेवता की प्रतिमा स्थापित करें प्रतिमा पर जल, फूल, फल और चंदन लगाएं नाग की प्रतिमा को दूध, दही, घी, शहद और पंचामृत से स्नान कराएं और आरती करें।
फिर लड्डू और खीर अर्पित करें मान्यता है कि ऐसा करने से आपके घर की बुरी शक्तियों से रक्षा होती है इस दिन सपेरों से किसी नाग को खरीदकर उन्हें मुक्त भी कराया जाता है जीवित सर्प को दूध पिलाकर भी नागदेवता को प्रसन्न किया जाता है।
#नाग_पंचमी_के_मंत्रः
नाग पंचमी के दिन
ऊं भुजंगेशाय विद्महे, सर्पराजाय धीमहि, तन्नो नाग: प्रचोदयात्।
इस मंत्र से नाग देवता की पूजा की जाती है.
इसके अलावा
सर्वे नागा: प्रीयन्तां मे ये केचित् पृथ्वीतले।
ये च हेलिमरीचिस्था ये न्तरे दिवि संस्थिता:
ये नदीषु महानागा ये सरस्वतिगामिन:।
ये च वापीतडागेषु तेषु सर्वेषु वै नम:।
और
ॐ श्री भीलट देवाय नम:।
मंत्र का जाप भी नाग पंचमी के दिन पूजा के दौरान किया जाता है।
#आज_पूजा_करने_पर_कुंडली_से_हट_जाता_है_कालसर्प_दोषः
धार्मिक मान्यता के अनुसार आज नागदेवता की पूजा करने से कुंडली के राहु और केतु से संबंधित दोष दूर होते हैं. सांप के डर और सर्पदंश से मुक्ति पाने के लिए नाग पंचमी के दिन कालसर्प योग की पूजा भी करवाई जाती है, इस दिन महिलाएं सर्प को भाई मानकर उसकी पूजा करती हैं और भाई से अपने परिजनों की रक्षा का आशीर्वाद मांगती हैं।