Satish Parashar's Album: Wall Photos

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प्रणाम।

क्या दिन होते थे चीन के। चिचा लहरू हिंदी चीनी भाई भाई के नारे लगाते थे। चिचा लहरू के बेस्ट फ्रेंड रूस होते थे और अमेरिका से भारत की दुश्मनी थी। चीन पीठ पर खंजर भोंक हमला कर देता था और चिचा देखते रह जाते थे। चिचा मदद की गुहार लगाते तो रूस मना कर देता। अंततः अमेरिका काम आता और वह अपनी सैन्य सप्लाई भेजता, पर चिचा तो क़सम खाए थे कि कश्मीर दे देंगे पर अमेरिका से मदद ना लेंगे। अमेरिका के जहाज़ आने वाले दिन ही डर कर चीन इक तरफ़ा युद्ध विराम घोषित कर देता था कि आज से युद्ध विराम, जितनी ज़मीन हमने छीनी है वह हमारी हुई, कल से और ना लेंगे। चिचा इसे स्वीकार कर लेते और सदन में बयान दिया जाता कोई समस्या नहीं, चीन ने वो जो सैंकड़ों किमी ज़मीन भारत से छीन ली है वह ज़मीन बंजर है। उस पर गेहूँ धान कुछ नहीं उगता। इसके बाद भी दसकों तक भारत चीन सीमा पर भारत की ओर से सामान्य सड़कें तक ना बनाई गई कि कहीं चीन नाराज़ ना हो जाए तो चीन ने हवाई अड्डे तक बना डाले। कभी दुबारा युद्ध हो तो वह अपनी सेना, मशीनरी तुरंत पहुँचा सकते थे भारत ने तो अच्छी सड़क ना बनाई। पर क्या बताया जाए, मोदी आ गया। गुज्जू भाई एक ओर तो मीठी मीठी बात करते रहे दूसरी ओर सीमा पर युद्ध स्तर पर सड़क, पुल, रेल, हवाईअड्डे बनने लगे। भारत ने पूरी चीन सीमा के समानांतर 73 सड़क/पुल/हाइवे के जाल की संरचना की। लगभग 50 सड़कें, 3350 किमी सीमा के समानंतर लगभग 2400 किमी पुल/सड़कों का जाल सब तैयार हो गया है बीते कुछ वर्षों में। अब बस हाथी की पूंछ बाकी है। चीन के लिए यहआखरी गरमी का महीना है, अगर वह रोक सके, अन्यथा अगले मार्च तक पूरी सीमा के समानंतर भारत की शानदार सड़कें दौड़ रही होंगी। इतना ही नहीं अगर चीन इस विषय पर हस्तक्षेप करता है तो भारत ने चीन को चारों ओर से घेर लिया है। चीन के लिए CPEC एक दुधारी तलवार बन गया है। ना खाया जा रहा है ना थूका जा रहा है। भारत ने धारा 370 समाप्त कर POK/गिलगित पर अपना अधिकार जताया, तो वहीं पाक में बलूच को समर्थन दे दिया। CPEC पर तलवार लटक गई। वहीं तीसरी ओर अरुणाचल को वन इंडिया पॉलिसी के अंतर्गत ला दिया। चीन ने लंका मालदीव को घेरा तो भारत ने उन्हें चीन से मुक्ति दिला दी। चीन ने भारत के साथ नेपाल का खेल खेला तो चीन के साथ ताइवान का खेल खेला गया। एक ओर भारत ने चीन के कॉम्युनिस्ट समर्थक नेताओं की दुकाने बंद कर दी तो दूसरी ओर चीन के हांग कांग में चीन के ख़िलाफ़ ही भावना भड़कने लगी। चीन के अंदर भी लोकतंत्र की चिंगारी जल गई। चीन के दूसरी ओर समुद्र में अमेरिका ने गतिविधियाँ तेज़ कर दीं, आर्थिक महत्व के मुद्दों पर अमेरिका ने चीन की जगह भारत को प्राथमिकता देना आरम्भ कर दिया। करोना के काल में पूरी दुनिया चीन के खिलाफ और भारत के साथ जाती दिखी, साथ ही चीन को भारत ने सब ओर से घेर लिया है। चीन को कोई अन्य विकल्प नहीं दिख रहा है शिवाय इसके कि भारत के ख़िलाफ़ अब आमने सामने की सैन्य गतिविधियाँ तेज कर दे। चीन को भी मालूम है, वो चिचा वाले जमाने गए। अब युद्ध होगा तो भारत के साथ पूरा विश्व खड़ा होगा, पर चीन की कोशिश यही है कि थोड़ा माहौल गरम कर थोड़ा बहुत बरगेनिंग कर ली जाए, कम से कम थोड़ी तो राहत मिले किसी एक फ्रंट पर।

।। जय हिन्द ।।