Rahula Bhardwaz's Album: Wall Photos

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#श्रीरामजन्मभूमि_मुक्ति_संघर्ष

बाबर के सेनापति मीर बाकी खां ताशकंदी द्वारा श्रीराम मंदिर के विध्वंस का समाचार देखते ही देखते पूरे भारत में फैल गया, फैजाबाद जिले में स्थित भीटी राज्य के महाराजा महताब सिंह उस समय अपनी सेना के साथ तीर्थ यात्रा पर निकलने वाले थे पर जैसे ही उन्हें राम मंदिर के ध्वस्त होने का समाचार मिला उनका मन पीड़ा से भर गया, उन्होंने सोचा कि जब अपने ही राज्य के निकट महान तीर्थ नष्ट हुआ जा रहा हो तब किसी अन्य जगह की तीर्थ यात्रा करने का कोई अर्थ नहीं,

तुंरत उन्होंने अपनी सेना का पड़ाव अंजना के बाग में डाल दिया और रातों-रात चारों ओर संदेश भिजवा कर के आसपास रहने वाले समस्त राम भक्त क्षत्रियों को एकत्र होने का कहा, सन्देश के साथ उन्हें यह समाचार भी भिजवा दिया कि अब हमें धर्म युद्ध लड़ना है,

देखते ही देखते हैं प्रातः काल की पहली सूर्य किरण निकलने के पूर्व ही राजपूत क्षत्रियों के बड़े-बड़े दल वहां एकत्र हो गए और अयोध्या में आकर उन्होंने जन्मभूमि को चारों ओर से घेर लिया, अचानक हिंदू योद्धाओं की इतनी प्रबल तैयारी देखकर मीर बाकी के होश उड़ गए, यद्यपि उसकी सेना विशाल थी जिसमे 4 लाख 50 हजार मुगल सैनिक थे, जबकि हिंदू योद्धाओं की संख्या 1 लाख 74हजार थी, कम संख्या होने के बाद भी हिंदू सेना ने मुगल सेना पर भीषण आक्रमण किया और भूखे बाघ की भांति मुगल सेना पर टूट पड़े, देखते-देखते सारी मुगल सेना में चीख-पुकार मच गई, 15 दिन तक लगातार भीषण संघर्ष चला, दोनों पक्षों के सैनिकों की लाशों के ढेर लगते गए,

यद्यपि हिंदू सेना छोटी थी परंतु उनके पास साहस अधिक था दूसरी ओर मुगल सेना विशाल होने के साथ ही उनके पास लंबी दूरी तक मार करने वाली चार तोपे भी थी, युद्ध के दौरान मुगल सेना ने उनका जमकर इस्तेमाल किया, जिसकी वजह से हिंदू सेना तहस-नहस हो गई,

यद्यपि हिंदुओं के हाथी सवार सैनिकों के हमले से मुगल सैनिकों के भी लाखों सैनिक मारे गए, यह संघर्ष पूरे 15 दिन तक चलता रहा, युद्ध के अंतिम दिन हिंदू सेना पूरी तरह नष्ट हो गई, 1 लाख 74 हजार सैनिकों में से एक भी हिंदू जीवित नहीं बचा, दूसरी और मुगलों के 4 लाख 50 हजार सैनिकों में से केवल 3145 सैनिक ही शेष बचे,

इस युद्ध में भीटी के राजा महताबसिंह, हसबर के राजा रणविजय सिंह, मकरही के राजा संग्राम सिंह एवं अन्य हिंदू योद्धा मारे गए,

युद्ध में मुगल सेना की विजय के बाद शेष बचे मंदिर की दीवारों को भी तोपों की मार से पूरी तरह ध्वस्त कर दिया गया, मंदिर विध्वंस के बाद उसी की सामग्री से ढांचा बनाया जाने लगा, ब्रिटिश इतिहासकार कनिघम ने अपने लखनऊ गजेटियर में 26 वे और पृष्ठ 3 पर लिखा है कि राम जन्मभूमि के मंदिर को बाबर के वजीर मीर बाकी द्वारा गिराए जाने के अवसर पर हिन्दुओ ने अपने प्राण की बाजी लगा दी थी,

1 लाख 74 हजार हिंदुओं की लाशें गिराने के बाद ही बाबर का वजीर मीर बाकी मंदिर को पूरी तरह गिराने में सफल हो सका, बाराबंकी गजेटियर में तो हैमिल्टन ने यहां तक लिख दिया है कि जलाल शाह ने हिंदुओं के खून को गारे में मिलाकर लखोरी ईंटे बनाकर उन्हें ढांचे की नींव में लगाने के लिए दी थी,

इस संघर्ष में केवल क्षत्रियों ने ही नहीं बल्कि सूर्यवंशी क्षत्रियों के राजपुरोहित देवीदीन पांडे ने भी भाग लिया था, उन्होंने इस युद्ध में भीषण तरीके से शत्रु से लोहा लिया और उनके खेमे को बड़ी भारी क्षति पहुंचाई,

अयोध्या के पास स्थित सूर्य कुंड के पास के गांव सनेथू के वे निवासी थे, अयोध्या के श्रीराम मंदिर के विध्वंस की सूचना मिलने पर वे अपने साथ 10हजार सूर्यवंशी क्षत्रियों की सेना लेकर मीर बाकी का सामना करने के लिए चल दिए, उनकी सेना ने मुगल सेना पर भीषण आक्रमण किया जिसकी वजह से अनेक मुगल सैनिकों को अपने प्राण से हाथ धोने पड़े, परंतु युद्ध के दौरान एक मुगल सैनिक में एक पकी हुई ईंट का प्रहार देवीदीन पांडे के सर पर किया जिससे उनकी खोपड़ी चकनाचूर हो गई और सर से भीषण रक्त स्त्राव होने लगा किंतु देवीदीन पांडे ने हिम्मत नहीं हारी और अपनी पगड़ी से खोपड़ी को कसकर बांध लिया, घायल अवस्था में ही उन्होंने अपने घोड़े सहित मीर बाकी के हाथी पर आक्रमण किया, मीर बाकी हाथी के हौदे में छुप कर बच गया किंतु देवीदीन पांडे ने अपनी तलवार से उसके हाथी सहित महावत का एक झटके में ही काम तमाम कर दिया,

इसी बीच मीर बाकी ने हौदे में से देवीदीन पांडे पर अपनी बंदूक से गोली चला दी जिससे देवीदीन पांडे गोली लगने पर वहीं पर वीरगति को प्राप्त हो गए,

'तुजुक ए बाबरी' में स्वयं बाबर ने लिखा है कि अकेले देवीदीन पांडे ने ही 700 मुगल सैनिकों का वध किया था,

यह राम मंदिर को स्वतंत्र कराने का पहला युद्ध था, जिसमे लाखो हिन्दुओ ने अपने प्राणों की आहुति दी थी, इस युद्ध के बाद बाबर ने एक फरमान निकालकर पूरे भारत से हिन्दुओ के अयोध्या आने पर सख्त प्रतिबंध लगा दिया था.....।