Divanshu Chaturvedi's Album: Wall Photos

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माननीय सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि -
"आरक्षण मौलिक अधिकार नहीं" एक कानून मात्र है।

वास्तव में आरक्षण नेताओं के लिये चुनाव जीतने का हथकण्डा मात्र है।

देखा जाये तो इससे किसी भी समुदाय को समग्रता में कोई लाभ नहीं हुआ है बल्कि समुदाय के अंदर ही असमानता बेहद तेजी से बढ़ी है। कतिपय परिवार बार-बार आरक्षण का सम्पूर्ण लाभ हथियाये जा रहे है, समुदाय के शेष परिवारों को इस व्यवस्था से कोई लाभ नहीं मिल पाया है, उनके लिये आरक्षण मात्र भावनात्मक तुष्टिकरण का मुद्दा है।
हाँ, भारत के अंदर सामाजिक समरसता और भाईचारा खत्म हो गया है, सामाजिक विद्वेष बढ़ा है।

साथ ही आरक्षण के कारण मेरे दो संवैधानिक मूल अधिकारों -
(1) समानता का अधिकार और
(2) शोषण के विरुद्ध अधिकार
का हनन अवश्य हो रहा है.!

आकंठ सत्तालिप्सा में डूबे राजनीतिक दलों और नेताओं से तो कोई उम्मीद नहीं......

माननीय उच्चतम न्यायालय से निवेदन है कि मुझे संविधान प्रदत्त मेरे मूल अधिकारों से वंचित करने वाली आरक्षण व्यवस्था को तत्काल रद्द किया जाए, आरक्षण को असंवैधानिक घोषित किया जाए और हर प्रकार के आरक्षण को गैर जमानती संज्ञेय अपराध घोषित किया जाए.!