मनोज जायसवाल's Album: Wall Photos

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Dr.Manohar Bhandari ji se sabhar
एड्स, धारावाहिक पोस्ट, पढ़ना ना भूलें -
इस बीमारी का आविष्कार 1980 में हुआ और फिर 1986 में इसका भारत प्रवेश हुआ I कमाल देखिए कि 1992 में एच.आई.वी.पॉजिटिव लोगों की संख्या 11000 हो गई I सन 1994 में यह संख्या आश्चर्यजनक तरीके से 20 लाख हो गई I सन 2002 तक 40 लाख हो गई I 2003 में 46 लाख और 2005 में 57 लाख से अधिक एच.आई.वी. पॉजिटिव हो गए I मैं ठहरा साइंस का विद्यार्थी, वो भी आरएसएस से जुड़ा, मेरा माथा ठनका I बचपन में पिताजी और दो बड़े भाइयों के लिए जासूसी नावेल लाइब्रेरी से लाया करता था, तो मुझे भी शौक चर्राया, तो मैं भी उन्हें सूत देता था I ओमप्रकाश शर्माजी के उपन्यासों में एक केरेक्टर था, ठगराज जगत, उसका एक डायलाग हमेशा रहता था कि “जब तक सिर सलामत है तमाशा घुस कर देखो I” बस, फिर क्या था मैंने नाको को एक चिट्ठी लिखी कि इतनी तेजी से रोगियों की संख्या में बढ़ोतरी अविश्वसनीय लगती है क्योंकि भारतीय इतने व्यभिचारी नहीं हैं I जवाब तो नहीं आया परन्तु कुछ ही दिनों में नाको के हवाले से अखबार में संख्या छपी कि 25 लाख 70 हजार हैं I तमाशा देखने की इच्छा बलवती होती गई I अपने मित्रों को इस काम में लगाया I कमाल आप भी देखिए I सूचना के अधिकार के तहत एसोसिएशन ऑफ़ एडवांसमेंट ऑफ़ साइंस, नईदिल्ली के अध्यक्ष डॉ. सदाचारीसिंह तोमर को नाको के डिप्टी सेक्रेटरी श्री जे.पी. मेहता ने 30 जुलाई 2009 को बताया कि सन 2006 के दौरान जो संख्या 57 लाख थी, वह नाको द्वारा किये गए सर्वेक्षण में घटकर 24 लाख हो गई है I (स्मरण रहे, एक बार पॉजिटिव होने पर रोगी मरने तक पॉजिटिव ही रहता है I) I फिर से पूछे जाने पर डॉ सदाचारीसिंह तोमर को श्री एम.एल.सोनी, अपर सचिव, भारत सरकार सूचना अधिकारी नाको, ने दिनांक 21 अक्तूबर 2009 के अपने पत्र में बताया कि 31.12.2006 तक एच.आई.वी. पॉजिटिव व्यक्तियों की कुल संख्या 663699 थी I इंडिया टू डे के पत्रकार श्री महेश शर्मा को नाको के जांच, मूल्याँकन, शोध और निगरानी के उपमहानिदेशक डॉ. एस. वेंकटेश ने बताया कि मई 2009 तक अनुमानित 23.1 लाख में से 12 लाख एच.आई.वी. पॉजिटिव को डिटेक्ट किया जा सका है I संख्या की आड़ में चल रहे एक अंतरराष्ट्रीय षड्यंत्र की आहट को मैंने तब शिद्दत से महसूस किया था, जब संयुक्त राष्ट्र के एड्स नियंत्रण कार्यक्रम (यू.एन.एड्स) और विश्व स्वास्थ्य संगठन की सन 2000 की रिपोर्ट में दावा किया गया था कि भारत में 1999 में एड्स से तीन लाख दस हजार लोगों की मौत हुई है और एड्स के कारण पांच लाख सत्तावन हजार बच्चें अनाथ हो चुके हैं, जबकि भारत सरकार के अनुसार तब एड्स से कुल 114 व्यक्ति ही मरे थे I अमेरिका की नेशनल इंटेलिजेंस काउन्सिल के सर्वेक्षण (?) और रिपोर्ट के आधार पर अमेरिकी राजदूत ब्लैकविल ने बयान दिया था कि सन 2010 तक भारत में ढ़ाई करोड़ लोग एच.आई.वी. संक्रमित होंगे I सी.आई.ए. ने “द नेक्स्ट वेव ऑफ़ एच.आई.वी. एड्स” शीर्षक से दिसंबर 2002 में एक रिपोर्ट जारी की थी कि भारत में 50 से 80 लाख एच.आई.वी.पॉजिटिव हैं, तब सरकारी आंकड़ा था 40 लाख I मेरे एक अग्रज मित्र और मुझे लगा कि झूठे आंकड़ों के पीछे यौन उद्योगों की घिनौनी रणनीति, कण्डोम प्रमोशन कार्यक्रम और देश की सांस्कृतिक समृद्धि को नष्ट भ्रष्ट करने की मंशा का भी जोरदार हाथ हो सकता है I शायद वे भारत के होनहार युवाओं के हाथों में किताबों की बजाय कण्डोम देखना चाहते थे, क्योंकि आंकड़ें विदेशी एजेंसियों द्वारा घोषित किए जा रहे थे I चौराहों पर घिनौने नारे चस्पा किये गए थे, यथा - एक से या अनेक से परन्तु कण्डोम से, चलो कण्डोम के साथ, एड्स का विरोध सिर्फ एक निरोध I चूंकि यह रोग असुरक्षित यौन सम्बन्ध से फैलता है और पीड़ितों में लगभग 85-88% की आयु 15 से 49 वर्ष के लोगों की बताई जाती है I अतएव हमें यह लगा कि कहीं इस रोग की बेतहाशा बढ़ती संख्या के प्रचार के बहाने देश के युवाओं को लम्पट सिद्ध करने का षडयंत्र तो नहीं है I वास्तविकता यह है कि हमारे युवा लम्पट यौनाचार की बजाय अपनी पढ़ाई और रोजीरोटी के प्रति ज्यादा एकाग्र रहते हैं I यह जानकार और भी आश्चर्य हुआ कि राज्यसभा में संसदीय स्थायी समिति ने 73 वीं रिपोर्ट में एच.आई.वी. / एड्स के रोगियों की संख्या इक्यासी लाख तीस हजार बताई थी, जिससे बवाल मचा तो नाको के निदेशक ने टाइपोग्राफिकल गलती कहकर मामले को ठण्डा कर दिया I
बस क्या था, इस चक्कर में इस रहस्यमयी बीमारी के बारे में जानकारियां खूब इकट्ठा की, इंटरनेट की मदद ली और फिर उन्हें “विनियोग परिवार, मुम्बई” को भेजा उन्होंने “एड्स प्रचार अभियान, यौन उद्योग की निर्लज्ज रणनीति” नामक एक दस्तावेज तैयार किया, जिसका विमोचन बाबा रामदेवजी ने किया था, मेरा संक्षिप्त उद्बोधन हुआ, जिसका 170 देशों में सीधे प्रसारण भी हुआ था I
देखते रहिए, इस धारावाहिक में कई सारे अनसुलझे और पेचीदा सवाल आपके सामने आते रहेंगे I