जवाहरलाल नेहरू को पता नहीं क्यों हिंदुओं के रीति-रिवाजों में ही कुरीतियां नजर आती थी वैसे अच्छी बात है कि उन्होंने हिंदुओं के कुरीतियों पर कानून बनाकर रोक लगाया
लेकिन मुस्लिम धर्म में व्याप्त कुरीतियों जैसे बुर्का नकाब कुर्बानी इत्यादि पर उन्होंने कोई रोक क्यों नहीं लगाई ??
जवाहरलाल नेहरू ने 1960 में मृत्यु भोज अधिनियम 1960 नमक कानून बनाया जिसके अनुसार यदि कोई व्यक्ति अपने किसी सगे संबंधी के निधन पर मृत्यु भोज आयोजित करता है तब उसे 1 साल की सजा होगी
अब राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार ने उसी अधिनियम की आड़ लेकर इस कानून को और सख्ती से लागू करने का आदेश दिया है
सभी गांव के सरपंच पटवारी लेखपाल और तहसीलदार को पत्र लिखकर सूचित किया गया है यदि आपके गांव में आपके एरिया में यदि कोई मृत्यु भोज आयोजित करता है तो उसके जिम्मेदार आप होंगे कृपया यह सुनिश्चित करें कि कोई भी हिंदू मृत्यु भोज आयोजित ना कर सके
मैं अभी तक समझ नहीं पाया अब रवीश कुमार बहस क्यों नहीं करते कि क्या इस देश में बेरोजगारी खत्म हो गई क्या इस देश की सारी दूसरी समस्याएं खत्म हो गई आखिर क्यों सरकार इस तरह के मसले छोड़कर लोगों का ध्यान हटाना चाहती है??
यदि कोई व्यक्ति सक्षम है यदि वह अपने पिता या अपने सगे संबंधी के निधन पर भोज आयोजित करता है तो इससे सरकार को भला क्या परेशानी हो सकती है?? कोई व्यक्ति बंदूक दिखाकर तो किसी को खाने पर नहीं बुलाएगा जिसकी इच्छा होगी वह आएगा