सन्जीव मिश्र's Album: Wall Photos

Photo 97 of 1,617 in Wall Photos

#अरबी_और_तुर्को_के_गुलाम

मन्दिर बनाना तो दूर दीवार पर लिखा भी बर्दाश्त नहीं। लगभग 1 साल पहले की खबर है कि पाकिस्तान मे गुरुद्वारों पर भी लिखे शब्द भी बर्दाश्त नहीं हैं। कौन है ये भाई तारु सिंह जिनके नाम पर यह गुरुद्वारा है।

पंजाब के अमृतसर में मुगलों का राज था। तारू सिंह अपनी माता के साथ पहूला गांव में रहते थे। वे सिख थे। धर्म ही उनका सब कुछ था। एक दिन तारू सिंह के यहां रात्रि में विश्राम के लिए जगह खोजते हुए रहीम बख्श नाम का एक मछुआरा आया। तारू सिंह ने ना केवल उसकी सहायता कि बल्कि उसे पेट भर भोजन भी कराया।
रात्रि के दौरान मित्र भावना से रहीम बख्श ने तारू सिंह से एक बात बांटना सही समझा। उसने बताया कि पट्टे जिले के कुछ मुगल उसकी बेटी को अग़वा कर ले गए हैं इसीलिए वह उनसे नज़र चुराता घूम रहा है। उसने इसकी शिकायत कई जगह की लेकिन उसकी पुकार सुनने वाला कोई नहीं है।

तारू सिंह मुस्कुराया और कहा कि तुम चिंता मत करो, कोई और नहीं तो गुरु के दरबार में तुम्हारी पुकार पहुंच गई है। जल्द ही तुम्हें तुम्हारी बेटी मिल जाएगी। अगले दिन रहीम बख्श वहां से चला गया। तारू सिंह ने बिना किसी स्वार्थ से उसकी मदद करनी चाही।
उसने सिखों के एक गुट को यह बात बताई जिसके बाद उन बहादुर सिखों ने पट्टी के उन मुगलों के यहां घुसकर रहीम बख्श की बेटी को रिहा कराया। यह खबर मिलने पर तारू सिंह बेहद प्रसन्न हुए लेकिन कोई था जिसे यह बात बिल्कुल भी गवारा नहीं थी।

किसी खबरी ने रहीम बख्श की बेटी के रिहा होने के पीछे तारू सिंह का हाथ है, इसकी खबर उस क्षेत्र के मुगलिया सरदार ‘ज़कारिया खान’ तक पहुंचा दी। ज़कारिया खान गुस्से से आग बबूला हो गया, उसने फ़ौरन अपने सैनिकों से कहकर तारू सिंह को गिरफ्तार कर पकड़कर लाने को कहा।

ज़कारिया खान ने तारू सिंह से कहा, “तारू सिंह... तुमने जो किया वह माफी के लायक बिलकुल नहीं है, लेकिन मैं तुम्हे एक शर्त पर छोड़ सकता हूं। तुम इस्लाम कबूल कर लो, मैं तुम्हारी सभी गलतियों को नजरअंदाज कर दूंगा।
ज़कारिया खान का प्रस्ताव पाते ही पहले तो तारू सिंह मुस्कुराया फिर बोला कि चाहे जान चली जाए लेकिन वह अपने गुरुओं के साथ गद्दारी कभी नहीं करेगा।
एक जल्लाद द्वारा तारू सिंह की खोपड़ी अलग कर दी गई