इस पुरातन वृक्ष की खाशियत यही है कि यह गुरु शंकराचार्य द्वारा निर्मित श्री जागेश्वर धाम तीर्थ जो कि स्वयं बारह ज्योतिर्लिंगों के समकक्ष पूण्य रखता है के प्रांगण में स्थित है और यही नहीं बल्कि यह पवित्र वृक्ष शिवशक्ति के अर्धनारीश्वर स्वरुप का प्रतीक भी है। यह पवित्र वृक्ष पृथ्वी से अपने मूल से एकाकी तना रखता है और कुछ ऊपर की ओर जाकर यह स्वयं ही दो वृक्षों का स्वरुप ले लेता है दो अलग अलग वृक्षों का।