जिस देश में रोडवेज पर अनगिनत दवाई और तेलों के नुस्खे बेचते प्रचारकों और जादू से घरेलू कलह और मनचाहा प्रेम पाने जैसी जटिल समस्याओं का समाधान करते रजा बंगाली जैसे तान्त्रिक बाबाओं तक का धंधा-पानी बेरोकटोक चल रहा है, बहुत सी दवायें जो गुणवत्ता पैमाने पर फेल हैं और कई देशों में बैन हैं वो यहाँ बड़ी शान से लोग रोजमर्रा की छोटी मोटी तकलीफों में खरीदते और खाते हैं, खाने की हर चीज में मिलावट है, दूध मे डिटर्जैट और फल-सब्जियों में न्यूट्रिशन से ज्यादा पेस्टिसाइड है वहाँ पर #रामदेव_बाबा की कोरोना के लिये बनायी औषधि #कोरोनिल का इतना भारी विरोध समझ नहीं आता...
बात सिर्फ स्वास्थ्य की है या फिर ड्रग्स और मेडिकल विभाग का करोड़ों-अरबों का धंधा चौपट होने की चिंता...?
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