manoj Jaiswal's Album: Wall Photos

Photo 9 of 24 in Wall Photos

एक प्रसिद्ध कहावत है कि...
मरा हुआ सिर्फ वही नहीं है जिसकी जान चली गई.
बल्कि, मरा हुआ तो वो भी है जो अपनी धर्म और संस्कृति पर आघात होता देख कर चुप रहे.

इसीलिए...मेरे लिए तो फलाना उसी समय मर गया था जिस समय अपने धर्म-संस्कृति पर आघात होता देख कर...उसने बताया था कि उसे "हिन्दू" होने पर शर्म आती है.

खैर...ये तो हुई किसी की निजी बात.

लेकिन... अगर, हम ऊपर लिखे कहावत का मतलब समझें तो बहुत कुछ समझ आ जायेगा.

हमारे धर्मग्रंथ ... हमें सिर्फ, धार्मिक ज्ञान ही नहीं देते हैं ...बल्कि, हमें जीने की कला भी सिखाते हैं...
और , हमें मुसीबत से उबरने के साहस देते हैं....!

उदाहरण के लिए अगर आप सिर्फ रामायण को देखो तो...

रामायण में जब भगवान राम के राज्याभिषेक की घोषणा हो चुकी थी... उसी रात, उन्हें राज्याभिषेक की जगह 14 वर्ष के वनवास की आज्ञा दे दी गई.

इसे बस ऐसे समझ लो कि सुबह आपको किसी कंपनी का CEO में प्रोमोशन होना है... और, आपने कोट-टाई-जूता वगैरह खरीद के रखा हो... कि सुबह CEO के पद का चार्ज लेंगे.

और, रात में मालूम पड़े कि आपको 14 साल के लिए बर्खास्त कर दिया गया हो नौकरी से.
मतलब कि CEO तो छोड़ो... वर्तमान नौकरी भी गई और आपको किसी दूसरी नौकरी करने पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया 14 साल तक.

अगर ऐसी स्थिति किसी के साथ आई तो आज के 99% लोग फांसी पर लटक जाएंगे कि अब जीवन में क्या बचा है...!

लेकिन, भगवान राम ने ... वन जाने की आज्ञा पर खुशी जताई और वे खुशी-खुशी वन गए.

वन में माता सीता का अपहरण हो गया...!
लेकिन, भगवान राम... उस परिस्थिति में भी नहीं घबड़ाये... बल्कि, उन्होंने इसका पता लगाया.

फिर, पता लगाने पर मालूम चला कि... माता सीता का अपहरण रावण नामक राक्षस ने किया है जो बहुत बलशाली है और उसकी पूरी लंका ही सोने की है.

सिर्फ इतना ही नहीं बल्कि... लंका भी साला समुद्र के उस पार है जहाँ पहुंचना ही असंभव सा है.

ये किसी को भी डिप्रेस कर देने के लिए काफी है...
कि, कहाँ हम साधन विहीन मात्र दो भाई.

और... कहाँ.. सोने की लंका में रहने वाला रावण...

जिसके पास... एक से एक महाबली वीर योद्धा मौजूद हैं.

क्या ये आत्महत्या के लिए पर्याप्त कारण नहीं है कि.... अब हम क्या कर पाएंगे इस परिस्थिति में ??

हम तो उस रावणवा से मुकाबला कर ही नहीं पाएंगे अब.

लेकिन, भगवान राम ने ऐसा कुछ नहीं सोचा बल्कि...
उन्होंने अपने पास उपलब्ध संसाधन का सदुपयोग करते हुए.. अपनी सेना तैयार किया...
अगस्त मुनि से... अनेकों अस्त्र-शस्त्र प्राप्त किया...!
फिर... सुग्रीव, जामवंत, हनुमान वगैरह महावीरों की मदद से लंका पर चढ़ाई की और उसे नेस्तनाबूत कर दिया.

और, अंत में अयोध्या नगरी के चक्रवर्ती सम्राट बने...!

उसी तरह... महाभारत में भी पांडवों ने ये सोच कर कभी डिप्रेस नहीं हुए कि....

एक तरफ... हस्तिनापुर की राजकीय सेना, भगवान श्री कृष्ण की चतुरंगिणी सेना... भीष्म जैसे परमवीर, आचार्य द्रोणाचार्य, कृपाचार्य, अश्वस्थामा, कर्ण, दुर्योधन जैसे वीर हैं...

और, दूसरी तरफ ... ये मात्र पांच भाई.

हम कैसे लड़ेंगे यार... चलो, सब इज्जत बचाने के लिए आत्महत्या कर लेते है.

ऐसा कुछ नहीं सोचा उन्होंने... बल्कि, पांडवों ने भी अपने उपलब्ध संसाधन से अपनी सेना बनाई..

हिम्मत और प्लानिंग से लड़े... और, अंततः दुश्मनों पर विजय प्राप्त की.