manoj Jaiswal's Album: Wall Photos

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सुशांत सिंह राजपूत की आत्महत्या के बाद ऐसे संदेशों की बाढ़ आ गयी है .......
उस दवा का नाम बताओ जो Depression में लेनी है ।
वो पोस्ट लिखो जो पहले लिखी थी .......

Ohhh Ma .......There is a jungle out there ......

बहुत से मितरों की मांग पे वही पुरानी पोस्ट repost कर रहा हूँ

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एक लड़का था। बहुत brilliant था। सारी जिंदगी फर्स्ट आया। साइंस में हमेशा 100% स्कोर किया। ऐसे बच्चे आमतौर पर इंजिनियर बनने चले जाते हैं, सो उसका भी सिलेक्शन हो गया IIT चेन्नई में। वहाँ से B Tech किया और आगे पढने अमेरिका चला गया। वहाँ आगे की पढ़ाई पूरी की। M.Tech बगैरह कुछ किया होगा फिर उसने यूनिवर्सिटी ऑफ़ केलिफ़ोर्निआ से MBA किया।
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अब इतना पढने के बाद तो वहाँ अच्छी नौकरी मिल ही जाती है। सुनते हैं कि वहाँ भी हमेशा टॉप ही किया, और वहीं अमेरिका में नौकरी करने लगा। बताया जाता है कि 05 बेडरूम का घर था उसके पास।
शादी भी वहीं, चेन्नई की ही एक बेहद खूबसूरत लड़की से हो गई। बताते हैं कि ससुर साहब भी कोई बड़े आदमी ही थे, कई किलो सोना दिया उन्होंने अपनी लड़की को दहेज़ में।
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अब हमारे यहाँ आजकल के हिन्दुस्तान में इससे आदर्श जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती। एक मनुष्य को और क्या चाहिए अपने जीवन में? पढ़ लिख के इंजिनियर बन गए, अमेरिका में सेटल हो गए, मोटी तनख्वाह की नौकरी, बीवी-बच्चे, सुख ही सुख, इसके बाद हीरो-हेरोइन के मानिंद सुखपूर्वक वहाँ की साफ़-सुथरी सड़कों पर भ्रष्टाचार मुक्त माहौल में सुखपूर्वक विचरने लगे...

.दूसरा परिदृश्य:
अब एक दोस्त हैं हमारे, भाई नीरज जाट जी। एक नंबर के घुमक्कड़ हैं, घर कम रहते हैं, सफ़र में ज्यादा रहते हैं। ऐसी-ऐसी जगह घूमने चल पड़ते हैं पैदल ही कि बता नहीं सकते, 04-06 दिन पहाड़ों पर घूमना, trekking करना आदि उनके लिए आम बात है। एक से बढ़कर एक दुर्गम स्थानों पर जाते हैं, और फिर आके किस्से सुनाते हैं, ब्लॉग लिखते हैं। उनका ब्लॉग पढ़ के मुझे थकावट हो जाती है, न रहने का ठिकाना न खाने का ठिकाना (मानों जिंदगी ही सफ़र में हो), फिर भी कोई टेंशन नहीं। चल पड़ते हैं घूमने, बैग कंधे पर लाद के। मेरी बीवी अक्सर मुझसे कहती है कि एक तो तुम पहले ही आवारा थे ऊपर से ऐसे दोस्त पाल लिए, नीरज जाट जैसे! जो न खुद घर रहते हैं और न दूसरों को रहने देते हैं!! बहला-फुसला के ले जाते हैं अपने साथ!!!
पर मुझे उनकी घुमक्कड़ी देख सुनके रश्क होता है, कितना रफ एंड टफ है यार ये आदमी! कितना जीवट है! बड़ी सख्त जान है!
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आइए अब जरा कहानी के पहले पात्र पर दुबारा आ जाते हैं। तो आप उस इंजिनियर लड़के का क्या फ्यूचर देखते हैं लाइफ में?
क्यों, सब बढ़िया ही दीखता है? पर नहीं, आज से तीन साल पहले उसने वहीं अमेरिका में, सपरिवार आत्महत्या कर ली! अपनी पत्नी और बच्चों को गोली मारकर खुद को भी गोली मार ली! What went wrong? आखिर ऐसा क्या हुआ, गड़बड़ कहाँ हुई???
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ये कदम उठाने से पहले उसने बाकायदा अपनी wife से discuss किया, फिर एक लम्बा suicide नोट लिखा और उसमें बाकायदा justify किया अपने इस कदम को और यहाँ तक लिखा कि यही सबसे श्रेष्ठ रास्ता था इन परिस्थितयों में! उनके इस केस को और उस suicide नोट को California Institute of Clinical Psychology ने study किया है! What went wrong?
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हुआ यूँ था कि अमेरिका की आर्थिक मंदी के दौर में उसकी नौकरी चली गई! बहुत दिन खाली बैठे रहे! नौकरियाँ ढूँढते रहे! फिर अपनी तनख्वाह कम करते गए और फिर भी जब नौकरी न मिली... मकान की किश्त भी टूट गयी... तो सड़क पे आने की नौबत आ गई! बताते हैं, कुछ दिन किसी पेट्रोल पम्प पे तेल भरा! साल भर ये सब बर्दाश्त किया और फिर अंत में ख़ुदकुशी कर ली...
ख़ुशी-ख़ुशी! उसकी बीवी भी इसके लिए राज़ी हो गई, ख़ुशी ख़ुशी!! जी हाँ लिखा है उन्होंने- हम सब लोग बहुत खुश हैं, कि अब सब-कुछ ठीक हो जाएगा, सब कष्ट ख़त्म हो जाएँगे!!!
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*इस case study को ऐसे conclude किया है experts ने