कितना सुंदर भाव लिखा है न कि जैसे बछड़ा सौ गायों में से भी अपनी मां को खोज लेता है वैसे ही कर्म भी अपने करता को खोज ही लेते हैं ।
मै कोई तत्वदर्शी ,ज्ञानी नही बस अपने अनुभव ,अपने विचार कह रही हूं ।
सबसे पहले रामायण से शुरू करते हैं ।जब मै रामायण देख रही थी तो सब धर्मप्रेमियों की ही तरह मेरा मन भी राम मय हो गया था ।रामायण की हर एक बात मुझे गहरे तक प्रभावित कर रही थी लेकिन एक बात जिसने मुझे बहुत कुछ सिखाया वो था कर्म फल ।