sanjaytiwari580's Album: Wall Photos

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कितनी असहाय और कमजोर बना कर रखी थी कांग्रेस ने भारत की सेना को। कथित "दुर्गा" #इंदिरा_गांधी का वो दौर जब सेनाध्यक्ष तक को तोप का गोला दागने तक की पॉवर नहीं थी।

सितंबर 1967, जब भारतीय सेना के जवानो ने चीन के 300 सैनिको को मौत के घाट उतार दिया था और बदले में #राहुल_की_दादी ने जनरल सगात का सजा के तौर पे ट्रांसफर कर दिया था......

#नाथु_ला में दोनों सेनाओं का दिन सीमा पर गश्त के साथ शुरू होता था और इस दौरान दोनों देशों के फ़ौजियों के बीच कुछ न कुछ तू तू-मैं मैं शुरू हो जाती थी। चीन की तरफ़ से सिर्फ़ इनका कमीसार ही थोड़ी बहुत टूटी-फूटी अंग्रेज़ी बोल सकता था। उसकी पहचान थी कि उसकी टोपी पर हमेशा एक लाल कपड़ा लगा रहता था।

थोड़े दिनों बाद भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच हो रही कहासुनी धक्का-मुक्की में बदल गई और 6 सितंबर, 1967 को भारतीय सैनिकों ने लाल टोपी वाले चीनी कमिसार को धक्का देकर गिरा दिया, जिससे उसका चश्मा टूट गया। और दोनो तरफ की टुकड़ियो के बीच तनाव बढ़ गया।

इलाके में तनाव कम करने के लिए भारतीय सैनिक अधिकारियों ने तय किया कि वो #नाथु_ला से #सेबु_ला तक भारत चीन सीमा को डिमार्क करने के लिए तार की एक बाड़ लगाएंगे।

11 सितंबर की सुबह 70 फ़ील्ड कंपनी के इंजीनियर्स और 18 राजपूत रेजिमेंट के जवानों ने बाड़ लगानी शुरू कर दी, जबकि 2 ग्रेनेडियर्स और सेबु ला पर आर्टिलरी ऑब्ज़रवेशन पोस्ट से कहा गया कि वो किसी अप्रिय घटना से निपटने के लिए तैयार रहे।

जैसे ही तार लगाने का काम शुरू हुआ चीनी कमिसार अपने कुछ सैनिकों के साथ उस जगह पर पहुंच गया जहाँ 2 ग्रेनेडियर्स के कमांडिंग ऑफ़िसर लेफ़्टिनेंट कर्नल राय सिंह अपनी कमांडो प्लाटून के साथ खड़े थे।

कमिसार ने राय सिंह से कहा कि वो तार की बाड़ लगाना बंद कर दें लेकिन उनको आदेश थे कि चीन के ऐसे किसी अनुरोध को स्वीकार न किया जाए। तभी अचानक चीनियों ने मशीन गन फ़ायरिंग शुरू कर दी।

#लेफ़्टिनेट_कर्नल_राय_सिंह को #जनरल_सगत_सिंह ने आगाह किया था कि वो बंकर में ही रहकर तार लगवाने पर निगरानी रखें, लेकिन वो साइट पर खड़े होकर अपने सैनिकों का मनोबल बढ़ा रहे थे।

सुबह 7 बजकर 45 मिनट पर अचानक एक सीटी बजी और चीनियों ने भारतीय सैनिकों पर ऑटोमेटिक फ़ायर शुरू कर दिया। राय सिंह को तीन गोलियाँ लगीं। और उनके मेडिकल अफ़सर उन्हें खींचकर सुरक्षित जगह पर ले गए।
और पलक झपकते ही जितने भी भारतीय सैनिक खुले में खड़े थे या काम कर रहे थे, मार दिये दिए गए। फ़ायरिंग इतनी ज़बरदस्त थी कि भारतीय सैनिको को अपने घायल सैनिको तक को उठाने का मौका नहीं मिला।

जब सगत सिंह को पता चला कि चीनी जबर्दस्त फ़ायरिंग कर रहे हैं तो उन्होंने "ऊपर" से तोप से फ़ायरिंग की इजाजत मांगी। उस समय तोपख़ाने की फ़ायरिंग का हुक्म देने का अधिकार सिर्फ़ #प्रधानमंत्री_इंदिरा_गांधी के पास था।

यहाँ तक कि सेनाध्यक्ष को भी ये फ़ैसला लेने का अधिकार नहीं था।

सगत सिंह आदेश का इंतजार करते रहे पर उन्हे इसकी परमिशन ना मिली। जब ऊपर से कोई इजाजत नहीं मिली और चीनी भारतीय सैनिको को मशीन गनो से भूनते रहे तो जनरल सगत सिंह ने तोपों से फ़ायर करने का हुक्म दे दिया........
और 300 से अधिक चीनी सैनिको को मौत के घाट उतार दिया।

इंदिरा गांधी को जनरल सगत सिंह की यह हरकत नागवार लगी और जनरल सगत सिंह का वहां से तुरंत ट्रांसफर कर विभागीय सजा दी गयी।

ये जो आज राहुल घाँडी भौंक रहा था कि लद्दाख में भारतीय सैनिको को बिना हथियारो के जाने किसने दिया.....सदी के इस सबसे बड़े मुँह फट जोकर के गले में माइक डालकर उपरोक्त घटना के बारे में पूछा जाए और NCC की फुल फॉर्म तक ना जानने वाले इस घोर अज्ञानी से यह भी पूछा जाए कि 1993 में सीमा पर चौकसी के दौरान सैनिको को हथियार ना रखने का समझौता किसने किया था और क्यों ???