मोदी सरकार को झेलना होगा भारी विरोध वर्ना देश के लिए बहुत खतरनाक संकेत - भविष्य के लिए खतरा ! जानिए चौकानें वाले खुलासे
IAS के एग्जाम में अचानक मु'सलमानों की बाढ़ क्यों आ गयी है - क्या है कड़वा सच !
पिछले 4-5 सालों (2015) से कश्मीरी मु'स्लिम युवक UPSC में बहुत सेलेक्ट हो रहे हैं ! इसका कारण जानना चाहा ! कश्मीरी ही नहीं, बल्कि पूरे भारत से मु'स्लिम युवक भी बड़ी मात्रा में UPSC की बाजी मार रहे हैं ! पहले इनका चयन % कम था।
आप इसमें एक पैटर्न देखेंगे, बस मेरी बात सावधानी से समझने की कोशिश करियेगा ! मु'स्लिम उर्दू साहित्य "mains" में रखेगा ! जाहिर है हिन्दू उर्दू नहीं पढ़ते, उन्हें जाँचने वाला भी मु'स्लिम ही होगा और वो चाहेगा उसकी कौम का बन्दा अधिकारी बने ताकि बाद में प्रेशर ग्रुप बना सके !
पूरी सरकार पे ये उर्दू से IAS और UPSC जैसी परीक्षाओं में मु'स्लिम और कश्मीरी युवकों को देश के उच्च पदों पर बिठाने की साज़िश है, जिससे जब भी हिन्दू मु'स्लिम गृह युद्ध हो ये साहेबजादे अपनी कौम का साथ दे और ओवेसी जैसे लोग इनको आसानी से अपने कब्जे में कर सके !
अभी आप देखेंगे तो "mains" में आप उर्दू भी रख सकते हैं, ऐसा तमाम वेबसाइट्स आपको दिखायेंगी लेकिन एक न्यूज़ चैनल पर कुछ दिन पहले जब रिजल्ट आया था, तो किसी कश्मीरी के बारे में बता रहा था - Urdu & Is'lamic studies से इन्होंने UPSC दिया है !
क्या ऐसा कुछ UPSC में शामिल हुआ है ? खोजने का प्रयास कीजियेगा, इसमें कितनी सत्यता है। यह जानकारी केवल उस न्यूज चैनल पर एक झलकी पर आधारित है ! इसकी सत्यता मैं नहीं जानता।
ये सारे मुस्लिम स्पेशल इंस्टिट्यूट हैं ! यहाँ हिन्दू मिलेंगे नहीं, मिलेंगे भी तो नाम मात्र के वो भी कुछ जगह जो केंद्रीय बड़ी यूनिवर्सिटी हैं - जैसे अलीगढ़ या ओस्मानिया हैदराबाद ! बाकी हजारों इंस्टिट्यूट हैं, जहाँ हिन्दू झाँकने भी नहीं जाता अल्पसंख्यक यूनिवर्सिटी/कालेज के अंतर्गत चल रहे हैं, सरकार से पैसा पाते हैं और पढ़ाते हैं -इ'स्लामिक स्टडीज।
एक भी ऐसी यूनिवर्सिटी इस देश में है जहाँ हिंदुत्व या वैदिक कल्चर की पढ़ाई होती हो ? जहाँ वेद पढ़ाये जाते हों ? पर इ'स्लामिक स्टडी की हजारों हैं।
ये इ'स्लामिक स्टडी से इन्हें आईएएस बनाना मतलब असंतोष और प्रेशर ग्रुप का निर्माण करना ! किसी भी कठोर नीति को कश्मीर के विरुद्ध ये बनने नहीं देंगे। 39 करोड़ की आबादी माइनॉरिटी नहीं होती है !
इनसे सारे अल्पसंख्यक अधिकार लिए जाने चाहिए। ये भारत का मु'स्लिम समुदाय बहुसंख्यक है। इंडोनेशिया के बाद विश्व की सबसे बड़ी मु'स्लिम आबादी भारत में है ! ताज्जुब यह है कि फिर भी अल्पसंख्यक है ?
सबसे पहले इनके म'दरसे गिनने चहिए ! इन इ'स्लामिक संस्थाओं में क्या चल रहा है, क्या पढ़ाया जा रहा है, सबकी जाँच हो ! इन्हें कोई वित्तिय सहायता नहीं देनी चाहिए। यही सच्ची धर्मनिरपेक्षता है, यही secularism है। इनमें गणित, विज्ञान, कंप्यूटर के शिक्षक भर्ती किये जाने चाहिए !!
सरकार को चाहिए कि UPSC, IAS, IPS जैसी उच्च पद की परीक्षाओं को केवल हिंदी जो कि राष्ट्रभाषा है और English जो कि प्रचलित भाषा और कार्य भी ज्यादातर इसमें ही होता है इसलिए इन्हीं 2 भाषाओ में परीक्षा करवाये न कि रीजनल भाषा में ၊
जिस से भविष्य के भारत को देश भक्त पदाधिकारी मिले न कि देशद्रोही ओर सरकार को झुकाने वाले ! आखिर इतने उचे पद पर जाने वाले अधिकारियों को कम से कम हिंदी और अंग्रेजी का ज्ञान तो होना ही चाहिए, क्योंकि भविष्य में उर्दू में किसी भी आफ़िस में काम नहीं होगा, फिर उर्दू की जरूरत क्या है ? ये अधिकारी किसी मदरसे में तो पढ़ाने नहीं जाएंगे !
कृपया सोचिये ... ! शीघ्र उर्दू को UPSC exam से बाहर कीजिये, वर्ना कल न जाने कोई ISIS का ऐजेंट भी IAS न बन जाए !!
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