ashok mishra's Album: Wall Photos

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आत्मनिर्भरता
की जब बात आती है तो आज के युवक बगले झांकने लगते हैं|
यह अनमोल शरीर की कीमत नहीं जानते,जिसका एक आँख से लेकर हर अंग महत्वपूर्ण है | हम अपने अनमोल शरीर का भी मोल लगा देते हैं|
एक बार सोच कर देखें हमारे लालन पालन से लेकर शिक्षा तक कितना खर्च हुआ |उस खर्च के बदले क्या पाया |मिलेगा कुछ नहीं | यदि हम कौशल विकास पर उसका 5% भी खर्च कर दे तो वह हुनर कोई नहीं छीन सकता |घर में चोरी हो सकती कौशल नहीं चोरी कर सकता |आत्मनिर्भर होने में
सहायक होगा |
इसलिए कहता हूँ कारिगर बनो,नौकडी़ तो हम पैदा कर सकते लेकिन ,कारिगर नहीं|किताब खरीद सकते लेकिन ज्ञान मनन ,अध्ययन के बिना नहीं मिल सकता | हमारे बिहार में छोटा छोटा बहुत ही छोटा उपक्रम लगाओ देखो जिन्दगी कैसे बदलती है |
हर खेत के मेड़ पर पैसा है,मैं नहीं पहचान पा रहा हूँ क्योकि अपना मस्तिष्क को मैने नौकडी़ के नाम पर गिरवी रख दिया है |उदाहरण ले लो जो गुडी़च (गिलोय) हमलोग पेड़ के टहनी पर लटका हुआ छोड़ देते हैं |वही गिलोय बाबा रामदेव का ट्रेड बन गया है |
हमने तो कसम खा ली है मेरे लिए कोई रोजगार सृजन कर दे मैं वही करता रहूँगा जो मालिक का हुक्म होगा |
बिहार वासियों आत्मनिर्भर बनो |स्वयं सृजन करो रोजगार का |
अशोक मिश्र |