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आयुर्वेद में ”अमरूद“ के गुण

आयुर्वेद में अमरुद को मधुर, ग्राही, कफकारक, वातवर्धक, स्वादिष्ट, शीतल, तीक्ष्ण, भारी, त्रिदोष नाशक और साथ में भ्रम , मूर्छा और शारीरिक जलन को नष्ट करने वाला फल माना गया है। अमरुद तो अमरुद इसके पत्ते, पेड़ की छाल, जड़ भी दवाओं का काम करते हैं -

* अगर पेट में दर्द हो या बदहजमी की स्किकायत हो तो इसके कोमल पत्ते पीस कर रस निकालिए और ३०- ३५ ग्राम पिला दीजिये।

* मुंह में कोई घाव हो या मसूड़ों से खून आता हो तो अमरुद के पत्तों का काढा बनाकर उसे ५-५ मिनट मुंह में रख कर कुल्ला कीजिए।

* बहुत दस्त हो रहे हो तो पत्तों का काढा २५-२५ ग्राम २-३ बार पिला दीजिये।

* अगर किसी को भांग का नशा चढ़ गया हो तो अमरुद खिला दीजिये ,नशा उतर जाएगा।

* हैजे के कारण उल्टी, दस्त हो रहा हो तो अमरुद के पत्तों का काढा बहुत तेज फ़ायदा करेगा।

* दांतों में दर्द हो रहा हो तो अमरुद के पत्ते चबाएं।

* आप कब्ज से परेशान हों तो शाम को चार बजे कम से कम २०० ग्राम अमरुद नमक लगाकर खा जाया करें, फायदा अगली सुबह से ही नज़र आने लगेगा। १० दिन तो खा ही लीजिये फिर जब तक मन करे तब तक खाएं।

* अमरूद हृदय को मजबूत करता है, दिमाग को भी शक्ति देता है और पाचन शक्ति दुरुस्त करता है। मीठा अमरुद पेचिश में भी फायदा पहुंचता है। अगर भोजन के बाद एक अमरुद खाया जाए तो भोजन में मौजूद सारे तत्व आसानी से पाच जाते हैं अर्थात खाना शरीर में लगता है। इसको खाने से मन प्रसन्न रहता है। यह भूख को भी बढाता है।

* अगर आँखों में सूजन आ गयी हो तो इसके फूलों को मसल कर लेप कर दीजिये। सूजन ख़त्म भी होगी आँखों की रोशनी भी तेज होगी।