मैं #पीपल का पेड़ हूँ... स्वच्छ हवा का सरसराता हुआ झरना जैसे पर्वतीय प्रदेश से कोई जल स्त्रोत झरना बनकर निकलता है उसी तरह में ऑक्सीजन बांटता रहता हूँ.... मेरा जन्म एक नन्हें से बीज से हुआ है, मेरा बीज किसी पक्षी के पेट से निकल कर टूटी दीवारों ,खंडहरों तथा छतों की मुंडेर पर कहीं भी उग जाता हूं ....कोई बोये न बोये, कोई पानी दे या ना दे ...मैं ठाट से उठ कर खड़ा हो जाता हूं मैं हर समय स्वच्छ हवा के पंखे से झूला करता हूं मेरे ही गुणों के कारण मेरी इन्हीं विशेषताओं के कारण सत्पुरुषों ने मुझे काटे जाना निषेध बताया है इतना ही नहीं कुछ ने तो मुझे बचाने के लिए मेरे ऊपर भूत प्रेतों का डेरा भी दिखा दिया आम आदमी तो इसलिए मुझसे दूर रहते हैं कि भूल से काट देने पर कहीं उनका कोई अकल्याण नुकसान ना हो जाए... अतः मैं सुरक्षित खड़ा हूं अपने पत्तों की ताली बजाया करता हूं...।
मेरे ऊपर असख्य चिड़ियों का बसेरा होता है ...घनी धूप में यात्रियों को अपनी शीतल छाया देता हूं अपने पत्तों से थके मांदे पथिको को छाया देकर उनकी थकान दूर करता हुँ...।।
हाँ में पीपल हूँ..।
मुझे रोपने वाले को तीर्थो का पुण्य मिलता हैं, मुझे रोज सींचने से दुखो का नाश होता हैं...।