जगबीर सिंह's Album: Wall Photos

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#Terror_Tycoon!

मुख्तार अंसारी एक माफ़िया राजनेता...
इस नाम से आप परिचित तो होंगे ही.... लेकिन यक़ीन करें आपका परिचय इस व्यक्ति से बड़ा हल्का है........
जिस मुख्तार को आप उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल का एक माफ़िया समझ रहे हैं वो भारत के सबसे ताकतवर राजनीतिक घरानों में से एक का है..... ऐसे घराने जिनको सत्ता में कौनसी पार्टी बैठी है इससे फ़र्क़ नहीं पड़ता ये समानांतर सत्ता चलाते हैं.....
और इनकी सिस्टम पर पकड़ इतनी मजबूत है के अदालतों से लेकर सचिवालयों तक को मैनेज कर लेते हैं.....

इसकी कहानी सुरु होती है आज़ादी से भी पहले से 1906 में ढाका के #नवाब_ख्वाजा_सलिमुल्ला ने एक राजनीतिक पार्टी बनाई मुस्लिम लीग......
इसका उद्देश्य अलग इस्लामिक राष्ट्र बिल्कुल नहीं था बल्कि ये पार्टी चाहती थी ब्रिटिश राज के अंतर्गत ही भारत की रियासतों को ऑटोनोमी मिले मोटा मोटा आपको कंहुँ तो आज का पाकिस्तान, बांग्लादेश, जूनागढ़, भोपाल, अवध, हैदराबाद जैसी कई रियासतें और जागीरें भारत के भीतर ही इस्लामी झंडे के साथ अंग्रेज़ सरपरस्ती में राज करें.... कोई चार छह दर्ज़न पाकिस्तान भारत के भीतर ही!

इसी मुस्लिम लीग में हिंदी पट्टी के कई बड़े मुस्लिम खानदान भी जुड़े और उनमें से ही एक खानदान का युवा डॉक्टर था मुख्तार अहमद अंसारी...... हनक का अंदाज़ा इससे लगाइये के ये बंदा तब की कांग्रेस और मुस्लिम लीग दोनो का अध्यक्ष बना.....
1947 में आज़ादी के वक़्त सिर्फ देश नहीं बटा
बटवारे की सूत्रधार मुस्लिम लीग भी बटी पाकिस्तान मुस्लिम लीग, इंडियन मुस्लिम लीग और आगे चलकर बांग्लादेश में अवामी लीग..
मुस्लिम लीग के कई नेता जिन्होंने पाकिस्तान के लिए जी जान लगाई थी... पाकिस्तान गए नहीं.... और उन्हीं में से एक था मुख्तार अहमद अंसारी का कुनबा जो अपनी पुश्तेनी जगह गाज़ीपुर में ही रहा..... खानदान के कुछ लोग पाकिस्तान भी गए पर ज्यादातर यहीं रहे और #राजनीतिक_छांव ढूंढी कांग्रेस में.....

फिर सुरु हुआ राजनीतिक प्रभाव से देश के बड़े पदों तक पहुंचने का इनका सिलसिला....
फरीदुल हक़ अंसारी दो बार राज्यसभा सदस्य,
शौकतुल्लाह अंसारी लोकसभा सदस्य,
और हामिद अंसारी भारत का उपराष्ट्रपति ये सब इसी खानदान के सदस्य हैं.....
और इसी खानदान से है ये माफ़िया डॉन मुख्तार अंसारी जिसका नाम उसके दादा के नाम पर ही रखा गया.....
कई विधायक, सांसद और अन्य बड़े पदों पर काबिज़ ये कुनबा भारत की कोई बड़ी संस्थान नहीं जहाँ घुसपैठ न रखता हो.... जज, अधिकारी, राजनेता....... और बिकाऊ लोगों की भीड़ सब है इनके पास.....!

कृष्णा नंद राय की खुली हत्या के बाद भी मुख्तार कैसे बचा, जेल में किसी भी पार्टी के राज में उसपर कोई फ़र्क़ क्यों नहीं पड़ता, और आज भी पूर्वांचल में वो किस ताक़त के बल पर ताल ठोंकता है आप समझ सकते हैं....

सिस्टम के जड़ से पत्ते तक पहुंच रखने वाला ये माफ़िया किसी सरकार के बूते खत्म न होगा क्यों के सरकार को कार्यवाही तो इसी सिस्टम से ही करवानी पड़ेगी...... लेकिन हाँ अगर आप यानी जन सामान्य इनके राजनीतिक वर्चस्व को तोड़ दें........ इन्ह घसीट कर ठोंका जाएगा......!
और ये जरूरी है क्यों के इस कुनबे की जड़ में ही इस देश को बर्बाद करने की ख्वाहिश है!

अजय सिंह