पृथ्वी गोल है....
ये गेलिलियो ने बताया ऐसा वही मूर्ख बोल सकते है जिन्हें सनातन का ज्ञान नही है ...
पृथ्वी गोल है,यह हजारो वर्ष पूर्व वराह स्वामी बता चुके हैं...
आठवीं शताब्दी का मंदिर है कर्नाटक में जिसमें वराह स्वामी की मूर्ति है,गोल आकार पृथ्वी धारण किए हुए है। गेलिलियो से हजारो वर्ष पूर्व हमारे पूर्वज बता गए और बना कर दिखा गए कि पृथ्वी गोल है।
जो अपना पूर्वज लंगूरों को मानते है उनके लिए गेलिलियो ही पृथ्वी दाता है पर हम तो युगों युगों से अपने सनातन धर्म और पूर्वजो को मानते आए है। हमें गर्व है अपनी करोड़ो वर्ष प्राचीन और पूर्ण वैज्ञानिक सनातन संस्कृति और अपने ऋषियों मुनियों से पूर्वजों पर।
जय वराह भगवान !
सत्य सनातन धर्म की जय!