एक कमांडिंग ऑफिसर की बलिदान आप जानते हैं क्या होता है? कमांडिंग ऑफिसर कर्नल रैंक के अधिकारी जिसके अंदर एक हज़ार जवान से लेकर ऑफिसर देश की रक्षा में तैनात होते है। उनका बलिदान गलवान घाटी में हुआ है.. नमन है उन सभी वीरों को जो देश रक्षा हेतु बलिदान हुए हैं.....
लद्धाख क्षेत्र में पड़ने वाला गलवान घाटी या गलिऔरा सेक्टर जहाँ 16 बिहार रेजिमेंट अभी तैनात है। ये क्षेत्र LAC(लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल) के पास है। सन् 1962 में तत्कालीन राजनीतिक परिस्थिति ने ऐसा दब्बू निति अपनाया कि भारत के लद्धाख के एक बड़ा क्षेत्र पर चीन अपना कब्जा कायम कर लिया। चीन से लंबी सीमा साझा करते हुए हमें उन दुर्गम जगहों पर मोर्चा लेना होता है जहाँ सांस भी अपने आप नहीं चलती। दम साध कर आगे बढ़ना होता है।
भारत चीन के साथ LAC पर ऐसा समझौता है कि दोनों देश में से कोई भी देश का सैनिक फायरिंग नहीं खोल सकता है। इसलिए आप इस क्षेत्र का बहुत सारा वीडियो दोनों तरफ के जवानों का धक्का मुक्की वाला देखें होंगे। किंतु इस बार चीन अपने अहम् को साबित करने हेतु भारतीय क्षेत्र में प्रवेश कर गया जिसको लेकर उच्च स्तरीय बात चित हुई। चीन अपना सैनिक पीछे करने को तैयार भी हो गया था।
जून 15, समय रात्रि का; 16 बिहार रेजिमेंट के कमांडिंग ऑफिसर अपने ट्रूप्स के साथ पेट्रोलिंग पर ये देखने निकलते है कि चीनी सेना LAC से वापस गयी या नही। ये खबर उन्हें PMO तक भेज का आश्वस्त करना था। इसलिए वो स्वयं पेट्रौल के साथ थे। लेकिन धूर्त चीन मौके के ताक में था। जैसे ही भारतीय सैनिक उस क्षेत्र में पहुँची, घात लगाए बैठे चीनी सैनिकों ने हमला शुरू कर दिया। अंधेरे में आमने-सामने के लड़ाई का माहौल बन गया। दोनों तरफ से संख्या अधिक थी और घाटी सकड़ी थी। एक तरफ खाई तो पास से ही नदी गुजर रही थी।
दोनों तरफ से रॉड, तार लिपटी डंडे, कांटी ठोके हुए डंडे से बेधड़क मार शुरू हो गयी। घात लगाए बैठा चीन कामयाब हो गया। लेकिन तक पीछे से भारत की कवर ट्रूप्स पहुँच चुकी थी, और ताबड़ तोर हमला शुरू हो गया। अब दाव उल्टी पड़ गयी। चीनी सेना तीतर बितर हो गयी। क्षति उसकी अधिक हुई। किंतु एक हज़ार सेना का कमांडिंग ऑफिसर का बलिदान एक-एक सैनिक को जीवित रहते चुभ रही है। मेरे रहते मेरे कर्नल कैसे बलिदान हो गए? वो टिस अंदर तक चुभ रही है। तैयार खड़ी सेना पूरे बल के साथ वहाँ डटी है।
चीन के किसी भी कदम का घातक परिणाम होगा। गलवान घाटी में हम बहुत मजबूत है। वही एक जगह है जहाँ चीन अभी तक सड़क नहीं बना पाया है और हम वहाँ पहले से तैयार बैठे है। सारी सुविधा के साथ।
ये युद्ध इतना आसान नहीं है हज़ारों फीट की ऊँचाई पर दुश्मन देश से लड़ना वाकई कठिन होता है। सेना के जज्बे हौसले को सलाम है। वो सारी परिस्थिति से निबट लेगी। हम आप साथ निभाये, साथ दे। सेना का मनोबल ऊँचा रखें।
कितने मौतें हुई ये एक संख्या भर है, यत्र-तत्र, पल-पल बदलती खबर की दुनियाँ को अभी दूर से नमस्कार करें। युद्ध किसने जीती इसके लिए अंतिम परिणाम निर्णायक होता है। लड़ाई फूल की वर्षा में नहीं होती, अंगाड़े पर होती है। इसलिए जीवन जय या तो मरण होगा ही।