Bhupesh Joshi's Album: Wall Photos

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एक चूहा एक व्यापारी के घर में बिल बना कर रहता था. एक दिन चूहे ने देखा कि उस व्यापारी ने थैले से कुछ निकाल कर अपनी पत्नी को दिया. चूहे ने सोचा कि शायद कुछ खाने का सामान होगा,
उत्सुकतावश देखने पर उसने पाया कि वो तो एक चूहेदानी थी. ख़तरा भाँपने पर उस ने पिछवाड़े में जा कर उसी घर में रहने वाले कबूतर को यह बात बताई कि घर में चूहेदानी आ गयी है.
कबूतर ने मज़ाक उड़ाते हुए कहा कि मुझे क्या? मुझे कौनसा उसमें फँसना है?
निराश चूहा ये बात घर के ही मुर्गे को बताने गया.
मुर्गे ने भी खिल्ली उड़ाते हुए कहा... जा भाई..ये मेरी समस्या नहीं है.
हताश चूहे ने बाड़े में जा कर बकरे को ये बात बताई... और बकरा भी हँसते हँसते लोटपोट होने लगा
.
उसी रात चूहेदानी में खटाक की आवाज़ हुई जिसमें एक ज़हरीला साँप फँस गया था...
व्यापारी की पत्नी ने अँधेरे में चूहेदान में चूहा फंसा समझ कर उसे उठाया तो और साँप ने उसे डंस लिया...
तबीयत बिगड़ने पर उस व्यक्ति ने वैद्य को बुलवाया, वैद्य ने उसे कबूतर का सूप पिलाने की सलाह दी...
"कबूतर" अब पतीले में उबल रहा था ।
खबर सुनकर उस व्यापारी के कई रिश्तेदार मिलने आ पहुँचे जिनके भोजन प्रबंध हेतु अगले दिन "मुर्गे" को काटा गया ।
कुछ दिनों बाद उस व्यापारी की पत्नी सही हो गयी... तो खुशी में उस व्यक्ति ने कुछ अपने शुभचिंतकों के लिए एक दावत रखी तो" बकरे" को काटा गया......
चूहा दूर जा चुका था...बहुत दूर .....उस घर से ......

अगली बार कोई आपको अपनी समस्या बताये और आप यको लगे कि ये मेरी समस्या नहीं है तो रुकिए और दुबारा सोचिये....

समाज का एक अंग, एक तबका, एक नागरिक भी खतरे में है तो पूरा देश खतरे में है...

अपने-अपने दायरे से बाहर निकलिये...
स्वयं तक ही सीमित मत रहिये. .
सामाजिक बनिये...
और राष्ट्र व धर्म के लिए एक हो जाइए..