Brahmcharini Bharti Chaitanya भारती चैतन्य's Album: Wall Photos

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स्नेहतन्तुमयै: पाशै: बद्ध: सन्तानरज्जुभि:।
पञ्जरस्थो यथा सिंहः समर्थोSपि वशीकृत:।

जिसप्रकार पिंजरे में बंधाहुवा सिंह कुछ भी करने में असमर्थ होता है।उसी प्रकार से संतानरुपी स्नेहके रस्सी से बंधा हुआ मनुष्य भी परवश होकर स्वतंत्र भावसे कुछ भी करने के लिये असमर्थ होता है।