माँ
भगवान पर विश्वास या आत्म विश्वास या सकारात्म सोच होने से व्यक्ति किसी भी परिस्तिथि में घबराता नही है।परिस्थिति अनुसार स्वविवेक अथवा उस विषय के जानकार या गुरुजनो से मार्गदर्शन लेकर सामना करना उचित है।
कर्म न करने के पीछे आलस्य या प्रमाद हो तो उसे कर्तव्य भाव से दूर करना चाहिए।