नमस्कार मित्रो,
आज सुबह मित्र शैलेश के कहने पर एक बेहतरीन बॉलीवुड फ़िल्म "Bulbbul" देखी.24 जून को नेटफ्लिक्स पे रिलीज़ हुई ये फ़िल्म सुपरनैचरल ड्रामा फ़िल्म है जो बंगाल की पृष्ठभूमि पर बनी है.फ़िल्म के मुख्य किरदारों में काम किया है "तृप्ति डिमरी", "पाओली दम", "राहुल बोस" और "अविनाश तिवारी" ने.फ़िल्म की निर्देशक "अन्विता दत्त" की निर्देशक के तौर पर यह पहली फ़िल्म है लेकिन इसके पहले काफ़ी फिल्मो में डायलाग और गाने लिख चुकी है.
कहानी शुरू होती है 1881 के बंगाल से जहा कम उम्र की लड़कियो को बचपन में ही अपने से काफ़ी बड़े उम्र के लड़के से ब्याह दिया जाता था.ऐसे ही परिवार में जन्मी छोटी उम्र की "बुलबुल" की शादी भी बड़े ठाकुर "इंद्रनील" से कर दी जाती है."इंद्रनील" के 2 भाई है "महेंद्र" और "सत्या".जहा "महेंद्र" अपने बड़े भाई जितनी उम्र का होते हुए भी पागल है वही "सत्या" अपने भाइयो से काफ़ी छोटा लेकिन बचपन से ही समझदार है."महेंद्र" की बीवी है "बिन्दोनी" जो घर की छोटी बहु है और "बुलबुल" के आने के बाद उसके बड़ी बहु की पदवी होने से मन ही मन खुन्नस रखती है.चुंकि "सत्या" भी "बुलबुल" की उम्र का ही है इसलिए "बुलबुल" उससे जल्दी घुल मिल जाती है और इतनी बड़ी हवेली में उसको अपना सहारा और दोस्त मान लेती है.समय बदलता है और "बुलबुल" के बड़े होते होते बड़े ठाकुर का ध्यान अपनी पत्नी के रूप और यौवन पर जाने लगता है जिसके डर से "बिन्दोनी" षड़यंत्र बना कर "बुलबुल" से उसकी खुशियाँ छीन लेती है.उसके एकमात्र दोस्त "सत्या" को बड़े ठाकुर ऊँची पढ़ाई के लिए विलायत भेज देते है और हवेली की खामोशी में अकेली रह जाती है मासूम और बेबस "बुलबुल" जिसके दर्द और मायूसी को सुनने वाला वहा कोई नहीं है.कुछ सालो बाद "सत्या" वापस आता है और देखता है कि काफ़ी कुछ बदल चूका है.उसकी भाभी बुलबुल बदल चुकी है, उसके बड़े भाई घर छोड़ कर जा चुके है और दूसरे भाई "महेंद्र" को चुड़ैल मार चुकी है.गॉव में दहशत का सन्नाटा फैला हुआ है जिसका मुख्य कारण है दिन पर दिन होने वाली मौते जिनकी वजह लोग पेड़ पर रहने वाली चुड़ैल को मानते है."सत्या" समझ जाता है कि उसकी हवेली और गॉव में कोई रहस्य छुपा है जिसके पीछे इस नकली चुड़ैल की कहानी है और वो उस चुड़ैल को पकड़ कर उसका पर्दाफाश करना चाहता है.फिर क्या हुआ?क्या चुड़ैल की कहानी नकली थी?गॉव में हो रही मौतों के पीछे कौन था?"बुलबुल" के बदलने के पीछे क्या राज़ था?ये सब सवालों के जवाब के लिए आपको ये फ़िल्म देखनी होंगी.
बात करते है फ़िल्म की कहानी की जो बहुत ही उम्दा बनी है और अगर आप सस्पेंस फिल्मो के शौक़ीन है तो आपको अच्छी लगेगी.जैसा कि मैंने सोचा था ये हॉरर होंगी तो उतनी तो नहीं है लेकिन कुछ दृश्य कही कही जरूर डरावने लगते है.आसमान का लाल हो जाना, जंगल में चुड़ैल के दिखने का आभास होना, बैकग्राउंड में सुनाई देता म्यूजिक कही कही डर को महसूस कराता है.ये दुख़द है कि फ़िल्म में उस ज़माने की औरतों पे हो रहे अत्याचार की झलक दिखाई देती है इसलिए इसे कही कही पर फ़िल्म आपको अंदर तक रुला देगी.सीन का जिक्र तो नहीं करूंगा लेकिन काफ़ी सीन आपको झकझोर कर रख देंगे.अभिनय की बात करें तो नवोदित अभिनेत्री "तृप्ति" का सबसे बढ़िया काम है.उनको देखकर आप कही से नहीं कह सकते कि ये उनकी तीसरी फ़िल्म है.उनके हाव भाव ही पूरी कहानी सुना देते है.फ़िल्म का प्लस पॉइंट भी वही है.फ़िल्म देखने के बाद उनकी तारीफ किये बिना आप रह नहीं पाएंगे.वही फ़िल्म के अभिनेता "अविनाश" का काम भी सराहनीय है.इनके अलावा "पाओली" और "राहुल बोस" भी किरदार के हिसाब से सही बैठते है.कुल मिलाकर फ़िल्म बेहद अच्छी है और आपको जरूर देखनी चाहिए.
क्यों देखें-अगर लीक से हटकर टॉपिक पे बनी फिल्में देखना पसंद करते हो.
क्यों ना देखें-अगर फॅमिली के साथ देखने का मन बना रहे हो.
रेटिंग-7.5/10