Parvesh Kumar's Album: Wall Photos

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4.7.2020
*जैसे दूसरों की गलतियां निकालने को आप उत्सुक रहते हैं, वैसे ही अपनी गलतियां भी स्वीकार करनी चाहिएँ।*
छोटी मोटी गलतियां तो सभी से होती हैं। *क्योंकि जीवात्मा का स्वभाव ही ऐसा है, वह अल्पज्ञ है। बहुत थोड़ा जानता है। और ज्ञान शक्ति सामर्थ्य बहुत कम होने से, तथा आलस्य लापरवाही आदि के कारण वह सदा सावधान भी नहीं रह पाता। इसलिये गलतियां हो जाती हैं।*
तो जब किसी दूसरे व्यक्ति से गलती हो जाती है, तब तो प्रायः अन्याय पक्षपात आदि दोषों के कारण, लोग बड़े उत्साह से फटाफट दूसरों की गलतियां निकाल देते हैं। इतना भी विचार नहीं करते कि जो हम गलती बता रहे हैं, वह गलती उस व्यक्ति ने की भी है या नहीं! *पक्षपात ईर्ष्या द्वेष अभिमान आदि अनेक दोषों के कारण व्यक्ति दूसरे मनुष्य पर जानबूझकर झूठे आरोप भी लगा देता है। ऐसा करना उचित नहीं है।*
दूसरे की गलती निकालना भी एक बहुत कठिन कार्य है। इसके लिए तीव्र बुद्धि तथा निष्पक्षता की आवश्यकता होती है। कम बुद्धि वाला व्यक्ति दूसरे की गलती भी नहीं पकड़ पाता। बुद्धिमान और ईमानदार व्यक्ति ही दूसरे की गलतियां पकड़ सकता है और बता सकता है। परंतु सब लोग इतने तीव्र बुद्धि वाले तथा ईमानदार होते नहीं हैं। *या तो वे गलतियां पहचान नहीं पाते बुद्धि कम होने के कारण; अथवा कोई छोटी मोटी गलती पकड़ में आ भी जाए, तो फिर उस बात का बतंगड़ बनाते हैं। और जानबूझकर बड़े बड़े आरोप लगाते हैं। ऐसा करना मानवता के विरुद्ध है। ऐसा करने से ईश्वर बहुत अधिक दंड देगा।*
और जब स्वयं से गलती हो जाती है तब व्यक्ति अनेक बार समझ नहीं पाता कि मुझसे क्या गलती हुई ? अपनी गलतियों को समझने के लिए भी बुद्धि चाहिए। और *अनेक बार अपनी गलती समझ में आने पर भी व्यक्त