आज हमारे देश की पूरी रेलवे बंद पड़ी है, मतलब इनकम शून्य। लेकिन कर्मचारियों को सैलरी पूरी दी जा रही है। हमारे देश में करोड़ों पेंशन धारी हैं जिन्हें पेंशन पूरी दी जा रही है।
सरकारी रोडवेज की बसे बंद हैं पर सेलरी दी जा रही है। सबका कोरोना का इलाज और जांच भी मुफ्त हो रही है.
गरीबों को राशन मुफ्त या कंट्रोल से कम दामों पर उपलब्ध कराया जा रहा है।
सरकार के जितने भी इनकम सोर्स हैं अभी बंद हैं, टैक्स जो व्यपारी भरते हैं वो भी अभी लगभग बंद है।
उधर चीन और पाकिस्तान के साथ युद्ध के मोर्चे खुले हैं और उसकी तैयारी चल रही है, युद्ध हुआ तो पैसा क्या बहुत कुछ बलिदान करना पड़ेगा।
एक समय था जब माँ-बहनों ने अपने गहनें बेच लड़ाई के लिए दान दिया था।
आज की पीढ़ी को क्या हो गया है, देश के प्रति अपनी निष्ठा और कर्तव्य क्यों नहीं देख पा रहे ?
*पैसा कहां से आएगा ?*
सरकार ने पेट्रोल और डीजल पर अगर टैक्स बड़ा भी दिया तो कोई गलत काम नहीं किया अभी और आज के हालात देखते हुए माध्यम वर्गीय परिवार पर मुस्किल से पूरे महीने के पेट्रोल पर 500 से 1000 रू का अतिरिक्त खर्चा आएगा।
हम चीखना और चिल्लाना शुरू कर देते हैं क्या केवल इसलिये कि पेट्रोल और डीजल के दामों पर मातम मनाना हमारी आदत हो चुकी है जिससे देशद्रोही, टुकड़े टुकड़े गैंग, भृष्ट राजनीति करनेवाले लोगों, दुष्प्रचार कर देश में अराजकता व अशांति फैलाने वाले लोगों और उनके राजनीतिक एजेंडों को बल मिलता है ?
*अपने भारत पर अभी संकट है और हम लोग क्या इतना भी नहीं कर सकते हैं कि समय की मांग देखते हुए देश का साथ दें ? पैसा कहां से आएगा ?*
*इस देश के एक महान और गूंगे अर्थशास्त्री, जो आज बहुत चहक रहे हैं, सोनिया अंतोनियो माइनो के बहकावे में आकर, कभी खुद ये स्वीकार कर चुके हैं कि पैसे पेड़ों पर नहीं उगते !!!*