Chanchal Sharma (गोपी कृष्ण की)'s Album: Wall Photos

Photo 11 of 40 in Wall Photos

प्रश्न: सुंदर बुद्धि क्या है ?

आज स्वामी विवेकानंद की पुण्यतिथि है, जिनके नाम पे 12 जनवरी को देश में युवा दिवस मनाया जाता है, पर बहुत से लोगों को आज के दिन का महत्व मालूम नहीं होगा..

जब विवेकानंद ज्ञान प्राप्त कर चुके, तो अपने गुरु स्वामी रामकृष्ण परमहंस की आज्ञा से दुनिया में भारत के सांस्कृतिक महत्व को बढ़ाने के लिए भारत की अनेकता में एकता बताने के लिए विश्व भ्रमण पे चल दिये, गुरु से आशीर्वाद लिया फिर सोचा गुरुमाता से भी जाने से पहले मिलकर उनका आशीर्वाद ले लिया जाए..

तो वे अपनी गुरुमाता के पास पहुँचे, उन्हें गुरु की आज्ञा बताई और अपने जाने के लिए आशीर्वाद माँगा, तो गुरुमाता ने कहा कि बेटा एक बात याद रखना, इस दुनिया में तुझे सुंदर लोग बहुत मिल सकते हैं, ऐसी बुद्धि रखने वाले लोग भी बहुत मिल सकते हैं, जो अपने अपने प्रखर ज्ञान से मिट्टी को सोना और सोने को मिट्टी सिद्ध कर दें, परंतु सुंदर बुद्धि वाले लोग बहुत कम या यूँ कह लो, कोहिनूर की तरह विरले ही मिलते हैं..विवेकानंद भी कम कहाँ थे, बोले माँ ये सुंदर बुद्धि वाला किसे माना जाए ??

तो माँ बोलीं, कल जाने से पहले सुबह मेरे पास आना, तुम्हें एक सुंदर बुद्धि वाले मनुष्य से मिलवा दूँगी तो तुम खुद ही समझ जाओगे कि सुंदर बुद्धि क्या है ?
भोर हुई, अलविदा कहने से पहले जैसा गुरुमाता ने कहा था, विवेकानंद उनसे मिलने पहुँचे, तो देखा वहाँ 20 से 25 शिष्य पहले से बैठे हैं और पास ही एक चाकुओं का ढेर पड़ा हुआ है तो माँ ने विवेकानंद सहित सभी शिष्यों से कहा कि इस चाकुओं के ढेर में से एक-एक करके चाकू उठाकर मेरे हाथ में देते चलो मतलब उनको पकड़ाते चलो और आशीर्वाद लेके इस कमरे से विदा लेते चलो, सभी लोगों ने वही काम शुरू कर दिया बारी-बारी से चाकू उठाकर माँ को देने लगे..

अंत में विवेकानंद की बारी आई, विवेकानंद ने देखा कि सभी शिष्यों ने माँ को चाकू ऐसे पकड़ाया था कि चाकू के पीछे लकड़ी वाले हिस्से को खुद पकड़ा और माँ को चाकू का दूसरा नुकीला हिस्सा या शेष बचा लकड़ी का हिस्सा पकड़ाया तो विवेकानंद ने सोचा कि कहीं माँ को लग ना जाये उस नुकीले हिस्से से, सो उन्होंने उस चाकू को देने से पहले खुद उस चाकू का नुकीला हिस्सा पकड़ा और माँ को लकड़ी का हिस्सा पकड़ाया, तो माता ने कहा कि बेटा सुंदर बुद्धि केवल उसकी ही है, जो प्रेम के महत्व को समझ पाया है, जो तूने अंतिम समय में मुझे चाकू हाथ में देने से पहले उसके दोनों सिरे बदल दिए, बस वो तू प्रेम के कारण ही कर पाया है, संसार में जिसमें ऐसा भाव है, वो कुछ हद तक सुंदर बुद्धि रखने का दावा कर सकता है.. फिलहाल मेरे लिए वो तुम ही हो..

अब जाओ और संसार को बता दो कि भारत क्या है ? जब विवेकानंद जाने लगे, तो माँ ने कहा कि बेटा एक बात और याद रखना कि दुनिया में सफलता हासिल केवल उन्हीं को होती है, जिनके अच्छे मित्र होते हैं.. तो विवेकानंद ने फिर पूछा कि माँ अच्छे मित्र किनके हो सकते हैं ? माँ मुसकुराईं और बोली विवेक, अच्छे मित्र केवल उन्हीं के हो सकते हैं, जो स्वयं अच्छे होते हैं....

ये सुनकर विवेकानंद मुस्कुरा दिये, आशीर्वाद लेके चल दिये विश्व भ्रमण पे..
और उस शिकागो सम्मेलन में ऐसा बोले जिसने दुनिया में भारत की अनेकता में एकता वाली अद्भुत संस्कृति की पताका फहरा दी..

उनकी पुण्यतिथि पे उनको सादर नमन है..