श्रावण मास में पड़ने वाले सभी चारों मंगलवार को, मंगला गौरी पूजन किया जाता है।
इस वर्ष 2020 में, यह 7 जुलाई से शुरू है। पूरे भारतवर्ष में यह पूजा धूमधाम से की जाती है।
सुहागन स्त्रियां इस दिन माँ से अपने जीवनसाथी की सुरक्षा के लिए व्रत करती हैं। गृहस्थ लोग अपने जीवन में सन्तान की कामना करते हैं। पौत्र - प्रपौत्र की भी कामना माँ के समक्ष रखते हैं।
कहते हैं कि, इस पूजन में अर्पित की जाने वाली वस्तुओं की संख्या 16 होनी चाहिये। जैसे कि, 16 फूल, 16 प्रकार के धान, 16 धतूरे के पत्ते, पान, सुपारी, नारियल, इलायची, लौंग जीरा, धनिया व पांच प्रकार के सूखे मेवे, सभी 16 की संख्या में हों।
लाल वस्त्र पर देवी की प्रतिमा स्थापित करें। साड़ी पहना कर, माँ को 16 प्रकार के श्रृंगार की वस्तुएं चढ़ाएं। चूड़ियाँ भी संख्या में 16 होनी चाहिये।
चार दीपक में चार तार की बाती जलाएं। जिनकी संख्या 16 हो जाएगी।
फिर, माँ के समक्ष बैठकर, नमन करके, सबसे पहले श्री गणेश जी का आह्वान करें । ततपश्चात, गौरी माँ का पूजन उनके विभिन्न विभिन्न नामों से करें। ध्यान व आरती करें।
प्रथम मंगला गौरी के पूजन के लिए सभी साधकों को ढेर सारी शुभकामनाएं।