नरेश भण्डारी's Album: Wall Photos

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शुभ रात्री

(((( प्रिया प्रीतम की झूलन लीला ))))
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सावन मास का महीना था। प्रिया प्रीतम के मन में झूलन की उमंग जागी। बस सखियों ने सोचा प्रिया प्रीतम के साथ आज झूलन लीला की जाय।
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ललिता जी ने पूछा.. प्रिया प्रीतम से जैसा आपका मन हो वैसी ही व्यवस्था की जाएगी।
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श्यामसुंदर ने कहा एक साथ दो झूले होंगे।एक कदम्ब की डाल पर और दूसरा उसके पास तमाल वृक्ष पर।
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यह दोनों झूले आस पास होंगे। एक पर प्रिया जी झूलेंगे और एक पर मैं झुलूंगा..
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और दोनों में आज प्रतियोगिता होगी देखें कौन जीतता है।
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ललिता बोली कि जीत तो हमारी स्वामिनी की ही होगी।
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प्रियतम बोले.. तुम अभी से कैसे भविष्यवाणी कर सकती हो ?
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ललिताजी बोली हमारी प्रिया जी दुबली-पतली हैं। उनकी कमर की लचक बहुत गहरी है तो प्रिया जी ही जीतेगी।
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अब लीला के अनुसार दो वृक्षों पर अलग-अलग झूले डाल दिए गए।
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कदम्ब वृक्ष पर प्रिया जी झूल रही हैं और तमाल वृक्ष पर प्रियतम झूल रहे हैं।
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ललिता, विशाखा, चित्रा, इंदु लेखा श्री प्रिया जी को झुला रही हैं।
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चंपकलता, रंगदेवी, तुंग विद्या और सुदेवी प्रियतम को झुला रही हैं।
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अब प्रिया जी ने झूला झूलना आरंभ कर दिया। झूला हवा से बातें करने लगा।
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ललिताजी आज बहुत जोर से झूला रही है। प्रिया जी की कमर बहुत सुंदर लचक ले रही थी।
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प्रिया जी कभी सामने वृक्ष की ऊंची डाल को छू आती और जब पीछे जाती तो उनकी बेणी ऊंची डाल को छू लेती।
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उनका नीलांबर उन्मुक्त रूप से लहरा रहा है। प्रिया जी के कंठ में सुमन हार स्वर्ण हार हीरों का हार मुक्ता हार आदि प्रिया जी के साथ लहरा रहे हैं।
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जब प्रिया जी सामने की ओर जाती तो यह हार प्रिया जी के लिए हृदय से लग जाते और जब पीछे आती यह हार कंठ से झूले लगते।
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हारो के चिपकने और झूले की शोभा अनुभव सुंदर है। प्रिया जी के कुंडल भी लहरा रहे थे उनकी शोभा अद्भुत सुंदर सी है।
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प्रिया जी के नूपुर झूले के साथ मधुर नृत्य कर रहे हैं। मानों सरगम बज रही हो अनुपम शोभा प्रिया जी के झूलने की।
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तुंगविद्या जी ने कहा:- प्रियतम तुम क्यों नहीं झूलते हम तुम्हें झुला देंगी, विश्वास करो तुम्हारी झूलन में विजय होगी।
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प्रियतम बोले- मैं अभी थोड़ी देर से झुलुंगा, प्रियतम धीमे धीमे झूल रहे हैं। चार पग आगे आते चार पग पीछे जाते आते बस इतना ही झूल रहे थे।
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तुंगविद्या जी ने कहा ऐसे तो आप हार जाओगे।
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प्रियतम ने कहा.. यह मेरे झूलन का आनंद आज महान है।
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प्रीयतम ने कहा- झूलन का आनंद आज अत्यधिक है। मेरे मन के भीतर देखो-
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आज मेरा मन प्रिया जू के नीलाम्बर के साथ झूल रहा है।
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मैं प्रिया जू के बेणी के साथ झूल रहा हूँ।
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मैं प्रिया जू के हार के साथ झूल रहा हूँ और ह्रदय से लग जाता हूँ झूलते झूलते।
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मैं प्रिया जी कमर की साथ झूल रहा हूँ।
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प्रिया जू करधनी को पकड़ कर जब एक डाल को छु कर मुस्कुराती हैं तो उनकी मुस्कान के साथ झूलता हूँ।
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मैं प्रिया जी के कुंडल के साथ झूल रहा हूँ।
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मैं प्रिया जू के नुपुर की मधुर ध्वनि के साथ झूल रहा हूँ।
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ललिता जी पूछो.. जीत किसकी हुई मेरी या प्रिया जी की ?
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भले जीत प्रिया जी गई पर महा आनंद तो मुझे ही मिला। ललिता जी निर्णय करे किसका झूलन श्रेष्ठ है।
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चम्पकलता जी बोली- आपका प्रिया जी में प्रेम अतुलनीय है। आपको प्रिया जी के प्रति प्रेम पर बलिहार।
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प्रियतम बोले- मै हमेशा प्रिया जू से हारता हूँ। प्रिया जू की जीत में मेरी ही जीत है। जब जीत कर प्रिया जी आनंद पाती है तब मैं महाआनंद पाता हूँ उनके आनंद पर बलिहार जाता हूँ।
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प्रिया प्रियतम के मनोहर झूलन लीला की जय हो।
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((((((( जय जय श्री राधे )))))))
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