नरेश भण्डारी's Album: Wall Photos

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शुभ रात्री

(((( अमोघ सुदर्शन चक्र ))))
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वामन पुराण में बताया गया है श्रीदामा नामक एक असुर था। इसने सभी देवताओं को पराजित कर दिया।
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इसके बाद भगवान विष्णु के श्रीवत्स को छीनने की योजना बनाई।
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इससे भगवान विष्णु क्रोधित हो गए और श्रीदामा को दंडित करने के लिए भगवान शिव की तपस्या में करने लगे।
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भगवान विष्णु की तपस्या से प्रसन्न होकर शिव जी ने भगवान विष्णु को एक चक्र प्रदान किया जिसका नाम सुदर्शन चक्र था।
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भगवान शिव ने कहा कि यह अमोघ है, इसका प्रहार कभी खाली नहीं जाता।
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भगवान विष्णु ने कहा कि प्रभु यह अमोघ है इसे परखने के लिए मैं सबसे पहले इसका प्रहार आप पर ही करना चाहता हूं।
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भगवान शिव ने कहा अगर आप यह चाहते हैं तो प्रहार करके देख लीजिए।
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सुदर्शन चक्र के प्रहार से भगवान शिव के तीन खंड हो गए। इसके बाद भगवान विष्णु को अपने किए पर प्रयश्चित होने लगा और शिव की आराधना करने लगे।
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भगवान शिव प्रकट हुए और उन्होंने कहा कि सुदर्शन चक्र के प्रहार से मेरा प्राकृत विकार ही कटा है।
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मैं और मेरा स्वभाव क्षत नहीं हुआ है यह तो अच्छेद्य और अदाह्य है।
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भगवान शिव विष्णु से कहा कि आप निराश न होइये। मेरे शरीर के जो तीन खंड हुए हैं अब वह हिरण्याक्ष, सुवर्णाक्ष और विरूपाक्ष महादेव के नाम से जाना जाएगा।
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भगवान शिव अब इन तीन रुपों में भी पूजे जाते हैं।
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इसके बाद भगवान विष्णु ने श्रीदामा से युद्घ किया और सुदर्शन चक्र से उसका वध कर दिया।
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इसके बाद से सुदर्शन चक्र भगवान विष्णु के साथ सदैव रहने लगा।
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((((((( जय जय श्री राधे )))))))
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