नरेश भण्डारी's Album: Wall Photos

Photo 19 of 24 in Wall Photos

शुभ रात्री

(((( समय का रोना ))))
.
महर्षि के दर्शनार्थ एक व्यक्ति आया। महर्षि ने उससे बड़े प्रेम से पूछा...
.
कभी कुछ सत्कर्म किये हैं जीवन में ?
.
व्यक्ति ने सखेद उत्तर दिया.. महात्मा जी ! क्या करूं, करने की तो सदा सोचता रहा लेकिन समय ही नहीं मिला।
.
बचपन में अबोध था। युवावस्था में गृहस्थी का दायित्व निभाने में लेशमात्र भी समय नहीं मिला।
.
वृद्धावस्था रोगों से संघर्ष में बीती जा रही है। जीवन बहुत अल्प है।
.
समझ नहीं आता सत्कर्म अथवा अंत:ज्ञान के लिए कभी कुछ कर पाउँगा। इतना कह वह निराश हो रोने लगा।
.
उसे देख कर महर्षि भी रोने लगे।
.
व्यक्ति ने पूछा, मैं तो अपनी विवशता पर आंसू बहा रहा हूँ लेकिन महात्मा जी आप क्यों रो रहे हैं ?
.
महात्मा ने उत्तर दिया.. क्या करूं मेरे जीवन में अभाव भरे पड़े हैं। खाने के लिए अन्न नहीं है।
.
अन्न पैदा करने के लिए जमीन नहीं है। जमीन को पर्वत, वन और नदी-नालों ने घेर रखा है।
.
जमीन पानी का अंश है और पानी अग्नि का। अग्नि वायु का और वायु आकाश का। क्या करूं आकाश प्राप्ति के लिए तीन गुण और गुणों के लिए माया की प्राप्ति। मैं भूख से मर रहा हूँ क्या करूं ?
.
महामना ! इन सब के बाबजूद आप भूख से मर नहीं रहे, आप पर समय है और कुछ तो किया जा सकता है.. फिर रोना कैसा ?
.
महर्षि मुस्कराए और तपाक से बोले.. वही तो, समय तो तुम पर भी है और तुम भी सत्कर्म आरम्भ कर सकते हो।
.
जीवन अल्प है समय नहीं मिलता ऐसा रोना क्यों रो रहे हो ? इसी क्षण से सत्कर्म की और पग बढाओ।
.
ज़िन्दगी की सीख.. साधन, परिस्थिति या भाग्य को कोसना, कमजोर मानसिकता का चिन्ह है।
~~~~~~~~~~~~~~~~~
((((((( जय जय श्री राधे )))))))
~~~~~~~~~~~~~~~~~