नरेश भण्डारी's Album: Wall Photos

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शुभ रात्री

(((( ईश्वर बड़ा दयालु है ))))

एक राजा का फलों का एक विशाल बगीचा था.
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उसमें तरह-तरह के फल होते थे और उस बगीचे की सारी देखरेख एक किसान अपने परिवार के साथ करता था.
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वह किसान हर दिन बगीचे के ताज़े फल लेकर राजा के राजमहल में जाता था.
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एक दिन किसान ने पेड़ों पे देखा नारियल अमरुद, बेर, और अंगूर पक कर तैयार हो रहे हैं..
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किसान सोचने लगा आज कौन सा फल महाराज को अर्पित करूँ, फिर उसे लगा अँगूर करने चाहिये क्योंकि वो तैयार हैं..
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इसलिये उसने अंगूरों की टोकरी भर ली और राजा को देने चल पड़ा!
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किसान राजमहल में पहुचा, राजा किसी दूसरे ख्याल में खोया हुआ था और नाराज भी लग रहा था...
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किसान रोज की तरह मीठे रसीले अंगूरों की टोकरी राजा के सामने रख दी और थोड़े दूर बेठ गया..
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अब राजा उसी खयालों-खयालों में टोकरी में से अंगूर उठाता एक खाता और एक खींच कर किसान के माथे पे निशाना साधकर फेंक देता।
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राजा का अंगूर जब भी किसान के माथे या शरीर पर लगता था.. किसान कहता था, ‘ईश्वर बड़ा दयालु है’
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राजा फिर और जोर से अंगूर फेकता था किसान फिर वही कहता था ‘ईश्वर बड़ा दयालु है’
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थोड़ी देर बाद राजा को एहसास हुआ की वो क्या कर रहा है और प्रत्युत्तर क्या आ रहा है..
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वो सम्भल कर बैठा, उसने किसान से कहा, मै तुझे बार-बार अंगूर मार रहा हूँ , और ये अंगूर तुंम्हे लग भी रहे हैं..
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फिर भी तुम यह बार-बार क्यों कह रहे हो की ‘ईश्वर बड़ा दयालु है’
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किसान ने नम्रता से बोला, महाराज, बागान में आज नारियल, बेर और अमरुद भी तैयार थे..
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पर मुझे भान हुआ क्यों न आज आपके लिये अंगूर् ले चलूं.. लाने को मैं अमरुद और बेर भी ला सकता था पर मैं अंगूर लाया।
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यदि अंगूर की जगह नारियल, बेर या बड़े बड़े अमरुद रखे होते तो आज मेरा हाल क्या होता ?
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इसीलिए मैं कह रहा हूँ कि ‘ईश्वर बड़ा दयालु है’..!!
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इसी प्रकार ईश्वर भी हमारी कई मुसीबतों को बहुत हल्का कर के हमें उबार लेता है पर ये तो हम ही नाशुकरे हैं जो शुकर न करते हुए उसे ही गुनहगार ठहरा देते हैं..
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मेरे साथ ही ऐसा क्यूँ , मेरा क्या कसूर, आज जो भी फसल हम काट रहे हैं ये दरअसल हमारी ही बोई हुई है..
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बोया बीज बबूल का तो आम कहाँ से होये।।
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और बबुल से अगर आम न मिला तो गुनहगार भी हम नहीं हैं, इसका भी दोष हम किसी और पर मढेंगे.. कोई और न मिला तो ईश्वर तो है ही।
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आज हमारे पास जो कुछ भी है अगर वास्तविकता के धरातल पर खड़े होकर देखेंगे तो वास्तव में हम इसके लायक भी नही हैं..
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पर उसके बावजूद मेरे ईश्वर ने मुझे जरूरत से ज़्यादा दिया है और बजाय उसका शुकर करने के हम उसे हमेशा दोष ही देते रहते हैं।
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पर वो तो हमारा पिता है हमारी माता है किसी भी बात का कभी बुरा नहीं मानता और अपनी नेमतें हम पर बरसाता रहता है।
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अगर एक बार उसकी बख्शिसों की तरफ देखेंगे तो सारी उम्र के भी शुकराने कम पड़ेंगे।
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((((((( जय जय श्री राधे )))))))
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