रिंकू राजभर's Album: Wall Photos

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छात्र अभिभावकों व गुरुजनों के लिए आवश्यक पोस्ट....!

घर बैठे एग्जाम से मिली मेरिट की धूम मची है !

जो बच्चे 85 प्रतिशत से नीचे नम्बर लाये वे न जीनियस,न होनहार,न मास्टरों के आज्ञाकारी बच्चे । न ही पापा के प्यारे बेटू , न ममा के कलेजे के टुकड़े दिख रहे

क्योंकि इससे नीचे परसेंट वाले गार्जियन को अपने बच्चो के नम्बर बताते नहीं देखा। शायद शर्म आती हो या लोक लाज का भय होता हो या नाक कट जाने का डर लगता हो। क्योंकि यह समाज और उसमें भी हमारी ये अकादमिक शिक्षा एक खास किस्म के अभिजन वाद को पोषित करती रही हैं। खास किस्म के पेशों को महिमामण्डित करती रही हैं।
संभव है जिनके पाल्य कम प्रतिशत से पास हुए है उनके लिए यह एक मलाल भरा समय हो इसके लिए उन्होंने अपने बच्चों को किसी तरह पड़ोसी के बच्चों का उदाहरण दिया हो ।
केवल अंकों की रेलमपेल में अच्छा बुरे बच्चे का विभाजन हुआ हो। कम नम्बर आये बच्चों को लेकर पड़ोस में कानापूसी हो। तो सोचा जा सकता है कि हमने अपनी सारी जिंदगी जिस धकामुक्की में निकाल ली है फिर वही #आदत आने वाली पीढ़ी को भी थमाने में अमादा है।

दुनिया मे सबसे ज्यादा तबाह अगर किसी का संसार हुआ है तो वह है किशोर या बच्चों की दुनिया।
इसे तबाह करने वाले हम खुद है। नॉलेज क्रिएशन के बदले केवल सूचनाओं से भरे पुतले इंसानियत, आपसदारी और सहयोग, समूह की भावना सह अस्तित्व के मानवीय सबन्धों को कैसे संवेदनशील होकर समझेगें ? क्या यह सब निरथर्क औऱ बेकार के शब्द हो चुके हैं?
अंकतालिकाओं से भरी दुनिया में यह सब ढूढना भी बेकार की माथापच्ची है।
हम हर जगह से इतने ही क्रूर है,जाने अनजाने में ही सही मगर इस सब के जिम्मेदार हम खुद ही है।
हम भागदौड़ में अंधे हो चुके !

कितना अच्छा होता अगर अंकतालिएं सच से भी सच होती और हम बच्चों मेरिट से ज्यादा हुनर को लेकर चर्चा करते
इसलिए मैने तय किया है मैं ऐसी किसी भी पोस्ट पर कमेंट नहीं करूंगा जो एक खास श्रेणी और निम्न श्रेणी का विभाजन करती हो
दूसरे कम अंक वाले बच्चों,उनके परिजनों को चिढ़ाती हो !!

अनिल कार्की सर की वाल से....