मज़हब नही सिखाता आपस में बैर रखना-
पर हमारे भोलेनाथ तो एक लोटा दूध में खुश हो जाते हैं
जबकि अल्लाह खून बहाने से खुश होते हैं
जिस दिन लाखों पशुओं का कत्लेआम होता है वह दिन कभी मुबारक नहीं हो सकता बात हिंदुत्व की नहीं है बात इंसानियत की है
कैसे कह दूं ईद मुबारक।