कुछ पप्पू मुत्र पियक्कडो को यह चूल्ल हो रही है की राफेल के पहले भी मिग सुखोई आये थे तब तो इतना शोर नही हुआ था।
होता भी कैसे??
उस समय प्रेस मिडिया पर सिर्फ वही खबर दिखाई देती थी जिनको प्रसारण मंत्रालय से हरी झंडी दिखाई जाती थी।
उस जमाने मे एकमात्र सरकारी भोपु दुरदर्शन ही था जिसमे सरकारी गोटीया बैठी रहती थी।
लेकिन आज 100 से ज्यादा न्युज चैनल है।जो लोगो के बाथरुम बेडरुम की तस्वीर तक ले आती है।
हल्ला तो होगा ही और होना भी चाहिए।
पिछली सरकारो की तरह घोटाले बाजी थोडी है।
पेट तो उनका दुख रहा है जिनके माथे पर मेरा बाप चौर लिख दिया गया है