का शासन लगभग 500 ई बी के आसपास इस क्षेत्र का अराव क्षेत्र भर राजा हरीराम के शासन में था उनके दो लड़के अहिरौल और कौड़ थे जिनमें आन वान और तामीरात जजदा अलमस्त जवानी थी बड़े भाई अहिरौल ने 503 ईस्वी में तमसा नदी के तट पर अहिरौला बाजार बसाया था और छोटे भाई कौड़ ने 504 ईसवी में कौड़िया बाजार बसाया था गहन वन से लगी छोटी सरजू नदी के उस पार फैजाबाद अंबेडकरनगर के राजेसुलतानपुर के निकट गोपालपुर में भी भरो का शासन था कई कारणों से आजमगढ़ जनपद के भर राजा हरीराम और गोपालपुर के भर राजा के बीच में दुश्मनी चल रही थी जिसके कारण से ही हरिराम का जंगल जो गोपालपुर की सीमा तक फैला था उसे कटवाने की अहिरौल और कौड़देव ने जिद कर ली थी उस समय उस जंगल में सिद्ध साधु रहते थे जिनका नाम बुढन देव था
उनसे आज्ञा लेना जरूरी था लेकिन साधु पुरुष वुडन देव और भर राजा से टकरा हट हो गई इस टकरा हट में गोपालपुर के भर राजा ने साधु को सहयोग देने का वचन दिया संयोग से उसी समय साड़ी पाल से एक चंद्रवंशी क्षत्रिय इस जनपद में प्रथम बार आया एक राजवंशी होने के कारण उसके मन में इस जनपद हमें राज्यों पर अधिकार करने की लालसा बराबर जागती रही उसने उस साधु की अच्छी तरह से सेवा किया और आशीर्वाद पानी में सफलता प्राप्त की साथ ही उस क्षत्रिय ने अपनी बौद्धकीय कला और दृढ़ इच्छाशक्ति से अराव कि उस जनता को मिलाने में सफलता प्राप्त कर ली जो भरो से असंतुष्ट थे एक तरफ गोपालपुर के भर राजा का सहयोग था तो दूसरी तरफ अरा व कि कुछ जनता उससे मिल गई थी फल स्वरुप उसकी शक्ति बढ़ गई थी और उसने अराव राज्य पर कब्जा कर लिया .
इसी चंद्रवंशी क्षत्रियों ने भर कन्या से शादी करके पलिवार वंश चलाया अराव पर अधिकार प्राप्त कर लेने के बाद उस बूढ़नदेव साधु ने उस क्षत्रिय को राजा की उपाधि देकर अराव की गद्दी पर बैठाया उसने जंगल को काटकर 554 ईसवी में एक ग्राम बसाया जिस ग्राम का नाम साधु बूढ़नदेव के नाम पर बुढ़नपुर रखा गया बुढ़न देव ने उस क्षत्रिय को देश समाज एवं धर्म की रक्षा की प्रतिज्ञा करवाई इतिहास पलिवार क्षत्रियों 49 कोश तक फैला मानते हैं. ओम भारशिवाय नमः हर हर महादेव. लेखक
दयाशंकर भारशिव अंबेडकर नगर
सिकंदरपुर