हिन्दुस्तान में एक जुमला कहा जाता है कि,, "कानून सबके लिए बराबर है"
कानून सबके लिए बराबर है मान लें तो अगर आदिवासियों और गरीबों को धर्मान्तरण के दलालों के चंगुल से बचाने वाले शंकराचार्य जी जेल जा सकते हैं तो इमाम बुखारी और मौलाना साद जैसे लोग आजाद क्यों??